रक्षाबंधन का पर्व हर वर्ष सावन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है जो इस बार 22 अगस्त, रविवार को पड़ रहा है। यह दिन सावन महीने का अंतिम दिन होगा और अगले दिन भादों का महीना शुरु हो जाएगा।
इस बार राखी का तयोहार कई कारणों से अद्वितीय रहेगा। प्रथम तो यह कि यह रविवार को पड़ रहा है जब अधिकांश लोगों का अवकाश रहता है। दूसरे भद्रा जैसा अशुभ काल जिसमें राखी नहीं बांधी जाती, वह समय प्रातः 6 बजकर 15 मिनट पर समाप्त ही हो जाएगा। तीसरे चंद्रमा, मंगल के नक्षत्र और कुंभ राशि में होगे। चौथे धनिष्ठा नक्षत्र एवं शोभन योग भाई व बहन दोनों के लिए यह धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक तथा पारिवारिक रीतियां निभाने के लिए एक सुअवसर है।
ऐसे शुभ संयोगों में दोनों अर्थात भाई एवं बहनों के भाग्य में वृद्धि होती है। हां !कोरोना जैसे काल में आप मास्क, आपस की दूरी तथा मेडीकल, साफ सफाई, नियमों आदि का विशेष ध्यान भी रखें।
राखी बांधने का शुभ समय
शुभ समय- 22 अगस्त 2021, रविवार सुबह 05:50 बजे से शाम 06:03 बजे तक
रक्षा बंधन के लिए दोपहर का उत्तम समय- 01:45 बजे से 04:15 बजे तक
राखी को पहले रक्षा सूत्र कहते थे। कलावा या मौली भी कहा जाता था। यह रक्षा सूत्र ही राखी में बदल गया। रक्षा सूत्र को बोलचाल की भाषा में राखी कहा जाता है जो वेद के संस्कृत शब्द ‘रक्षिका’ का अपभ्रंश है।मध्यकाल में इसे राखी कहा जाने लगा।
क्यों बांधें राखी
आधुनिक युग में भाई-बहन एक दूसरे की पूर्ण सुरक्षा का भी ख्याल रखें। नारी का सम्मान हो। समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में कमी आएगी। भाई-बहन को स्नेह (प्रेम) कर्तव्य एवं दायित्व में बांधने वाला राखी का पर्व जब भाई का मुंह मीठा करा के और कलाई पर धागा बांध कर मनाया जाता है तो रिश्तों की खुशबू सदा के लिए बनी रहती है और संबंधों की डोर में मिठास का एहसास आजीवन परिलक्षित होता रहता है। फिर इन संबंधों को ताजा करने का अवसर आता है भईया दूज पर (राखी पर बहन) भाई के घर राखी बांधने जाती है और भैया दूज पर भाई बहन के घर तिलक करवाने जाता है।
ये दोनों त्योहार भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं जो आधुनिक युग में और भी महत्वपूर्ण एवं आवश्यक हो गएहैं जब भाई और बहन पैतृक संपत्ति जैसे विवादों या अन्य कारणों से अदालत के चककर काटते नजर आते हैं।
राखी का पर्व टूटे संबंधों को बांधने का भी एक महत्वपूर्ण पर्व है। पुत्रियों के मायके आने का जहां एक अवसर है। वहीं रक्षा बंधन सबको बांधने का एक बहाना है। बाबुल का आंगन गुलजार करने का एक मौका है।
भाई-बहनों के मध्य चल रहे गिले शिकवों को भुलाने का एक सुअवसर है। इसी लिए धागा बांधने के बाद मिठाई खिलाने से दिल का गुबार मिठास में घुल जाता है। भारतीय उत्सवों का मजा परिवार संग ही आता है। अतः रक्षा बंधन एक पारिवारिक मिलन है। सावन और सावन के सोमवारों से चलता हुआ यह सिलसिला तीज से होता हुआ कृष्णोत्सव तक निर्बाध चलता रहता है।
रक्षाबंधन सुरक्षा का मात्र सूत्र ही नहीं रह जाता अपितु एक वचनबद्धता और जिम्मेवारियों का बंधन बन जाता है। एक सम्मान सूचक तंत्र की जगह ले लेता है जिसमें अपनेपन का एहसास समा कर स्नेह का बंधन बन जाता है। इस धागे का संबंध अटूट होता है। जब तक जीवन की डोर और श्वांसों का आवागमन रहता है। एक भाई अपनी बहन के लिए और उसकी सुरक्षा तथा खुशी के लिए दृढ़ संकल्पित रहता है।
इस विधि से बांधे राखी
– बहनें भाई को लाल रोली या केसर या कुमकुम से आरती उतारते हुए तिलक करें
– उसकी दीर्घायु की कामना करे और मिठाई खिलाए।
– राखी बांधते हुए ईश्वर से उसकी लंबी आयु की और रक्षा की कामना करें
– भाई उपहार स्वरुप बहन को शगुन या उपहार अवश्य दे।
– पुलिस, सैनिक बल तथा सैनिकों को भी रक्षार्थ राखी बांधी जाती है।
– पुरोहित अपने जजमानों के रक्षा सूत्र बांधते हैं और उनके पालन पोषण का वचन लेते हैं।
– पुरोहित वर्ग को कलाई पर रक्षासूत्र की मौली के तीन लपेटे देते हुए इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-
! येन वद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः!
तेन त्वामबुध्नामि रक्षे मा चल मा चल !
Input : News24