मुजफ्फरपुर, 23 सितंबर, 2023, केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास, दिल्ली को स्वराज्य-पर्व और गणपति-उत्सव के ऐतिहासिक आयोजन के लिये बधाई दी है। स्वराज्य-पर्व के पांचवें दिन राष्ट्रकवि दिनकर जयंती के अवसर पर रामदयालु सिंह कॉलेज के श्रीकृष्ण सभागार में आयोजित समारोह में सम्मानित मुख्य अतिथि के रूप में श्रोताओं को संबोधित करते हुए अश्विनी चौबे ने कहा कि मुजफ्फरपुर में गणपति, लोकमान्य तिलक और दिनकर का यह अद्भुत संगम किसी प्रयागराज से कम नहीं है, और इसे संभव कर दिखाने वाले राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष भाई नीरज कुमार की जितनी सराहना की जाये वह कम है।

केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने नीरज कुमार की चर्चा करते हुए कहा कि वे देश में दो कारणों से जाने जाते हैं- एक तो देश भर में भारी कष्ट उठा कर पुस्तक मेला आयोजित करने के लिये, और दूसरे लोकमान्य तिलक और राष्ट्रकवि दिनकर को जन जन के बीच पहुंचाने के अपने दृढ़ संकल्प के लिये। यह कोई साधारण काम नहीं है। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि मुजफ्फरपुर के वासी सौभाग्यशाली हैं कि नीरज कुमार ने गणपति-उत्सव और स्वराज्य-पर्व के लिये मुजफ्फरपुर को चुना, जो कि क्रान्तिकारियों और शहीदों की भूमि है। मुझे मालूम हुआ कि आज दिनकर जयंती पर रश्मिरथी का मंचन हो रहा है, जिसे देखने का सुअवसर मुझे भी मिल चुका है। मैं कहना चाहता हूं कि यह एक अद्भुत नाटक है, जिसे हर किसी को देखना चाहिये। लोकमान्य तिलक के गीता-रहस्य से भी मुझे सदा प्रेरणा मिलती रही है, और इस महान ग्रन्थ को दुबारा प्रकाशित कर नीरज जी ने लाखों लोगों तक पहुंचाने का जो ऐतिहासिक कार्य किया है, उसके लिये मैं हृदय से उनको साधुवाद देता हूं।

मुजफ्फरपुर के साथ अपने आत्मीय रिश्ते को याद करते हुए केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि मैंने सत्तर के दशक में अपने छात्र जीवन में मुजफ्फरपुर में काफी समय बिताया है। समाजसेवा की प्रेरणा मुझे यहीं से मिली। मैं घंटों खुदीराम बोस पार्क में बैठा करता था। आज यहां आने से पहले मैं पटना में राष्ट्रकवि दिनकर के पुत्र केदारनाथ जी के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण करने और उनके परिवार के लोगों से मिलने गया था। दिनकर जी और उनके परिवार के साथ, उनकी जन्मस्थली सिमरिया के साथ मेरा गहरा नाता रहा है। सिमरिया को आदर्श ग्राम घोषित कराने में मेरा भी योगदान रहा है।

अश्विनी कुमार चौबे ने राष्ट्रकवि दिनकर के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि श्रेष्ठ साहित्य वही है, जिसमें सबका हित समाहित हो। दिनकर जी की कविता हमें यह सन्देश देती है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है। उनकी दृष्टि समाज के अंतिम आदमी तक पहुंचती है- श्वानों को मिलता दूध-भात, भूखे बच्चे अकुलाते हैं। मां की छाती से चिपक ठिठुर जाड़े की रात बिताते हैं। उनकी कविताओं में भारतीय संस्कृति और कला का सच्चा सौन्दर्य उभरता है।

अपने समय, समाज और देश के साथ दिनकर जी के जीवंत रिश्ते को याद करते हुए श्री अश्विनी चौबे जी ने कहा कि जिस राष्ट्रकवि ने कभी लिखा था- हमला चाहे जैसा होगा, हाथ हमारा नहीं उठेगा, उसी राष्ट्रकवि ने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में लाखों लोगों के साथ सड़क पर उतर कर देश की क्रूर और अहंकारी सत्ता को ललकारा था- सिंहासन ख़ाली करो कि जनता आती है। उन्होंने राष्ट्र की सेवा के लिये स्वयं को समर्पित कर दिया था। उनकी प्रसिद्ध कविता कलम आज उनकी जय बोल की पंक्तियां दोहराते हुए जयंती के अवसर पर मैं उनकी स्मृति को बार-बार नमन करता हूं। केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने मुजफ्फरपुर के लोगों से आग्रह किया कि वे आज शाम भारी संख्या में आकर राष्ट्रकवि दिनकर के रश्मिरथी का नाट्य-मंचन अवश्य देखें, जिसका मुम्बई के रंगकर्मी श्री मुजीब खान ने अद्भुत निर्देशन किया है।

इस अवसर पर स्वराज्य-पर्व के अंतर्गत रामदयालु सिंह कॉलेज द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संसद द्वारा हाल में पारित ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक के सम्मान में केन्द्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे की उपस्थिति में ‘नारी शक्ति वंदन अभिनंदन कार्यक्रम’ आयोजित हुआ, जिसमें रामदयालु सिंह कॉलेज की प्राचार्या डॉ. अमिता शर्मा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि यह रामदयालु सिंह कॉलेज का सौभाग्य है कि उसके परिसर में गणपति पधारे हैं, स्वराज्य-पर्व मनाया जा रहा है। रामदयालु बाबू के आशीर्वाद से ही आज हमें यह अवसर मिला है। प्राचार्या डॉ अमिता शर्मा ने कहा कि आज हम राष्ट्रकवि दिनकर की जयंती हम मना रहे हैं, और यह कितना दुखदाई है कि कल ही उनके छोटे सुपुत्र केदार बाबू का निधन हो गया है।

डॉ अमिता शर्मा ने कहा कि हम लोकमान्य तिलक, रामदयालु बाबू, राष्ट्रकवि दिनकर जैसे अपने उन पुरखों की स्मृति को प्रणाम करते हैं, जिन्होंने स्वाधीनता के लिये, देश के उत्थान के लिये संघर्ष किया। जिस संकल्प को लेकर तिलक ने महाराष्ट्र में गणपति उत्सव मनाने की शुरुआत की थी, उसी संकल्प के साथ आज मुजफ्फरपुर में गणपति-उत्सव की शुरुआत हुई है। निश्चित रूप से राष्ट्रीय और सांस्कृतिक एकता को मज़बूत करने में यह आयोजन सफलता प्राप्त करेगा। आज हम महिला शक्ति के वंदन के लिये एकत्रित हैं। संसद ने महिलाओं को आरक्षण का विधेयक पास करके एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। जिस प्रकार राजा राममोहन राय ने सती प्रथा पर रोक लगाने का कानून बनवा कर महिलाओं के हित में युगांतरकारी योगदान दिया था, उसी प्रकार आज महिलाओं को सम्मान दिलाने की दिशा में यह हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी का एक युगांतरकारी योगदान है, जिसके लिये हम प्रधानमंत्री जी को हृदय से साधुवाद देते हैं।

गुजरात के प्रेमचंद कहे जाने वाले साहित्यकार केशुभाई देसाई ने इस अवसर पर अपने वक्तव्य में कहा कि हमारे साहित्यिक पुरखों ने नारी शक्ति को केन्द्रीयता का स्थान दिलाने के लिये अथक प्रयास किये हैं। मैथिलीशरण गुप्त ने साकेत लिखा, तो उसमें उर्मिला को नायिका बनाया। दिनकर ने रश्मिरथी और कुरुक्षेत्र के साथ उर्वशी भी लिखा। हमारे पुरुष-प्रधान समाज में किरण बेदी, अमृता प्रीतम और कल्पना चावला कभी-कभी होती थीं। यह जो नया विधेयक संसद में पारित हुआ है, उससे घर-घर से किरण बेदी, अमृता और कल्पना को अपने सपने साकार करने का अवसर मिलेगा। इस लिहाज़ से यह हमारी सरकार का एक ऐतिहासिक कदम है।

नारी शक्ति वंदन-अभिनंदन कार्यक्रम को राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग से जुड़े डॉ. भगवान लाल सहनी, पूर्व मंत्री अजित कुमार, पूर्व विधायिका बेबी कुमारी और भाजपा जिलाध्यक्ष रंजन कुमार एवं अविनाश तिरंगा उर्फ ऑक्सीजन बाबा ने भी संबोधित किया। समारोह की शुरुआत में राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति न्यास, दिल्ली के अध्यक्ष नीरज कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया तथा समारोह का संचालन संयोजक संजय पंकज ने किया।

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