बिहार में मोइनुल हक क्रिकेट स्टेडियम (Moinul Haque Cricket Stadium) राज्य का एकलौता सबसे बड़ा स्टेडियम है. पिछले दो दशकों से उपेक्षा की मार झेल रहे पटना के इस मशहूर स्टेडियम की तस्वीर बदलने की कवायद शुरू हो गई है. दूसरे शब्दों में कहें तो मोइनुल हक स्टेडियम को वर्ल्ड क्लास स्टेडियम बनाया जाएगा, इसके लिए काम शुरू हो चुका है.

इस स्टेडियम को लेकर कुछ दिनों पहले कला, संस्कृति और युवा विभाग ने एक प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के सामने दिया है. स्टेडियम से जुड़ा जो डिजाइन कला, संस्कृति और युवा विभाग ने रखा उसे सीएम ने बेहतर बताया है. अब विभाग यहां से आगे अपना काम शुरू करेगा

जानें आखिरी मैच कब इस स्टेडियम में खेला गया 
बिहार सरकार की इस कवायद से राज्य के क्रिकेटर्स को उत्साह मिला है. उनके मुताबिक, जिस स्टेडियम ने अंतराष्ट्रीय मुकाबलों की मेजबानी की है उसको बेहतर बनाया जाना चाहिए. दरअसल, इस स्टेडियम पर सबसे बड़ा और आखिरी अंतरराष्ट्रीय स्तर का मुकाबला 1996 विश्वकप के दौरान कीनिया और जिम्बाब्वे के बीच हुआ था.

‘झारखंड बनने के बाद क्रिकेट की पूरी नस्ल बिहार में बर्बाद हो गई’

इसके बाद इस स्टेडियम में कुछ और आयोजन हुआ लेकिन झारखंड बनने के बाद क्रिकेट की पूरी नस्ल बिहार में बर्बाद हो गई. सरकार की उदासीनता के कारण नवोदित क्रिकेटर झारखंड सहित दूसरे राज्यों में शिफ्ट हो गए. हालांकि, नवंबर 2018 में रणजी ट्रॉफी के कुछ मुकाबले जरूर मोइनुल हक स्टेडियम पर खेले गए लेकिन कमोबेश ये उपेक्षा और लापरवाही का ही शिकार रहा. अब कला, संस्कृति और युवा विभाग इस स्टेडियम के कायाकल्प की योजना पर काम कर रहा है.

करीब 300 करोड़ खर्च कर स्टेडियम को नया लुक दिया जाएगा

जानकारी के मुताबिक, मोइनुल हक स्टेडियम का जीर्णोद्धार होगा और इसके लिए काम शुरू हो गया है. करीब 300 करोड़ खर्च करके इस स्टेडियम को नया लुक दिया जाएगा. इस स्टेडियम को फिर से तैयार करने के दौरान मैदान को भी सही किया जाएगा और साथ ही 9 पिच प्रैक्टिस के लिए बनाए जाएंगे.

मोइनुल हक स्टेडियम की पुरानी पहचान वापस लौटाई जाएगी

बिहार सरकार में कला, संस्कृति और युवा विभाग के मंत्री आलोक रंजन झा के मुताबिक, मोइनुल हक स्टेडियम की पुरानी पहचान वापस लौटाई जाएगी. इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इच्छुक हैं. बिहार में क्रिकेट के साथ ही खेल होता रहा है और यही वजह है कि बेहतरीन क्रिकेटर्स का पलायन झारखंड सहित दूसरे राज्यों में हो गया. इसकी मुख्य वजह थी राजधानी में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव और सरकार की प्राथमिकता में खेलों का न होना लेकिन अब सरकार ने इस कमी को दूर करने का फैसला किया है.

Source: Zee News

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