अयोध्‍या में राम मंदिर ट्रस्ट के लिए खरीदी गई जमीन मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. दो करोड़ रुपये में खरीदी गई जमीन को महज कुछ मिनटों बाद ही 18.5 करोड़ रुपये में ट्रस्ट ने खरीदी है, जिसे लेकर सपा, आम आदमी और कांग्रेस ने मोर्चा खोल रखा है. अयोध्या में दो करोड़ की जमीन पर साढ़े 16 करोड़ का मुनाफा कमाने वाले शख्स का नाम सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी है. ऐसे में सवाल उठता है कि कौन है सुल्तान अंसारी, जिनसे राम मंदिर ट्रस्ट ने जमीनी खरीदी है.

सुल्तान अंसारी का नाम अयोध्या के बड़े प्रॉपर्टी डीलरों में आता है जबकि रवि मोहन तिवारी उनके पार्टनर हैं. सुल्तान अंसारी के पिता का नाम नन्हे मियां अंसारी है. वो अयोध्या के असर्फी भवन चौराहा के पास कटरा मोहल्ला सुतौठी के रहने वाले हैं. सुल्तान के पिता नन्हे मियां अयोध्या में पुराने प्रॉपर्टी डीलरों में से हैं, जिन्होंने साल 2000 में जमीन खरीदने और बेचने का काम शुरू किया. इसी काम में सुल्तान अंसारी भी लग गए और पिता का हाथ बंटाने लगे.

सुल्तान अंसारी चुनावी किस्मत भी आजमा चुके हैं. साल 2017 के अयोध्या नगर निगम चुनाव में कटरा विभीषण कुंड वार्ड से सपा प्रत्याशी के तौर पर सुल्तान अंसारी चुनाव लड़े थे, जिन्हें बीजेपी की चमेला देवी पत्नी घनश्याम पहलवान ने करारी मात दी थी. यही नहीं सुल्तान अंसारी सपा के संगठन से भी जुड़े हुए हैं. सुल्तान अयोध्या सपा लोहिया वाहिनी के महानगर अध्यक्ष रह चुके हैं. राम मंदिर ट्रस्ट के लिए खरीदी गई जमीन को लेकर चर्चा के केंद्र में हैं.

बता दें कि अयोध्‍या में गाटा संख्‍या 243, 244, 246 की जमीन जिसकी मालियत 5 करोड़ 80 लाख रुपये है. उसे 2 करोड़ रुपये में कुसुम पाठक और हरीश पाठक से सुल्‍तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने 18 मार्च को खरीदा. इस जमीन खरीद में 2 गवाह बने, एक अनिल मिश्र (श्री राम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के सदस्य हैं) और दूसरे ऋषिकेश उपाध्‍याय जो अयोध्‍या के मेयर हैं.

इसी जमीन को उसी दिन दस मिनट बाद रामजन्‍मभूमि ट्रस्‍ट ने साढ़े 18 करोड़ में खरीद ली. इसके लिए 17 करोड़ रुपये आरटी‍जीएस सुल्तान अंसारी के अकाउंट में कर दिया गया. इस तरह से सुल्तान अंसारी ने महज 10 मिनट में साढ़े 16 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया.

हालांकि, सुल्तान अंसारी ने यह जमीन साल 2011 में कुसुम पाठक और हरीश पाठक से दो करोड़ में रजिस्ट्री कराई थी, लेकिन बैनामा अब उन्होंने 18 मार्च 2021 को कराया था. वहीं, अब उन्होंने इस जमीन को दस मिनट के बाद राममंदिर ट्रस्ट के नाम साढ़े 18 करोड़ में रजिस्ट्री कर दी है. यही वजह है कि सपा से लेकर आम आदमी और कांग्रेस तक राममंदिर ट्रस्ट को घेरने में जुटे हैं.

वहीं, राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने इन आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताया है. चंपत राय ने बयान जारी कहा कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जितनी भूमि खरीदी गई है, उसे बाजार की कीमत से बहुत कम मूल्य पर खरीदा है.

उक्त भूमि को खरीदने के लिए वर्तमान विक्रेतागणों ने वर्षों पूर्व जिस मूल्य पर अनुबंध किया था, उस भूमि को उन्होंने 18 मार्च 2021 को बैनामा कराया और उसके बाद ट्रस्ट के साथ अनुबंध किया गया है. ऐसे में किसी तरह का कोई भ्रष्टाचार नहीं किया गया है.

इनपुट : आज तक

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