पटना: नीतीश कुमार (Nitish Kuma) भले ही बिहार के मुख्यमंत्री हों लेकिन यहां की राजनीति में वो 3 नम्बरी हैं, ये पच नहीं रहा है. लालू यादव (Lalu Prasad yadav) के बाद बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार नम्बर 1 थे लेकिन उनको 3 नम्बर पर लाने का श्रेय किसी को जाता है तो वो हैं चिराग पासवान (Chirag Paswan). नीतीश ने चिराग से इस बात का बदला भी ले लिया है लेकिन खेल अभी खत्म नहीं हुआ है.

‘दुश्मनी में माहिर हैं नीतीश’

लालू यादव (Lalu yadav) के शब्दों में कहें तो नीतीश कुमार के पेट में दांत हैं मतलब नीतीश कुमार दोस्ती भले ही ठीक से नहीं निभाते लेकिन दुश्मनी भली भांति और समय पर निभा देते हैं. इसी का नतीजा है ऑपेरशन LJP. बिहार में नतीजों के बाद नीतीश कुमार BJP की अनुकंपा पर बिहार के CM बन गए लेकिन उनको और उनके सिपाहियों को ये बात अभी तक नहीं पची है. लिहाजा उन्होंने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए अपने सारे घोड़ों को छोड़ दिया.

चिराग को अपनों ने दिया धोखा?

पहला टारगेट चिराग थे. सिपाहियों को आदेश था कि किसी तरह चिराग के बंगले (चुनाव चिन्ह) को जला दिया जाए. पहली कामयाबी मिली जब इकलौते विधायक को अपने पाले में किया गया लेकिन मकसद घर में आग लगाने का था लिहाजा पहले से नाराज पशुपति पारस को साधा गया. 2 महीने से बीमार चल रहे चिराग पासवान को सर्दी खांसी बुखार ने जितना नुकसान नहीं पहुंचाया होगा उतना उनके चाचा और चचेरे भाई ने पहुंचा दिया.

अगला निशाना कौन?

अब पार्टी किसकी होगी ये बड़ा सवाल है. पार्टी संविधान के मुताबिक LJP चिराग के पास ही रहेगी. चाचा LJP (P) पशुपति या प्रिंस बना सकते हैं. अब अगला निशाना कौन? सूत्रों की मानें तो अगला निशाना कांग्रेस है. बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक हैं. आजकल पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी नीतीश कुमार के कैरम बोर्ड की लाल गोटी बने हुए हैं. ‘कांग्रेस को तोड़ने की जिम्मेदारी उन्हीं को दी गई है. वो लगातार कांग्रेस विधायकों के संपर्क में हैं.

BJP के बिना पूरा नहीं होगा खेल

लेकिन ये सारा खेल BJP के बिना पूरा नहीं होगा. BJP चुपचाप अभी खेल देख रही है. बिहार विधान सभा चुनाव के बाबत भी जब LJP ने एकला चलो का नारा दिया उस समय भी BJP चुप रही. चिराग अपने आप को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते रहे. नीतीश कुमार के कहने पर ही BJP ने स्थिति स्पष्ट की कि उनका गठबंधन नीतीश कुमार के साथ है और कोई भी नरेंद्र मोदी का नाम अपने साथ नहीं जोड़ सकता. ये अलग बात कि चुनाव की पहली रैली में नरेंद्र मोदी ने रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि दी थी.

BJP क्या कर सकती है?

Bjp अभी नीतीश कुमार का साथ नहीं छोड़ सकती. हालांकि पार्टी के अंदर बहुत नाराज़गी है. एक खेमा नीतीश कुमार को लेकर बहुत नाराज है. ऐसे कई विभाग है जिसमें मंत्री तो BJP के हैं लेकिन सचिव नीतीश के खासमखास. ऐसे में उन्हें काम करने में परेशानी हो रही है. BJP के पास वो संख्या नहीं है कि अकेले सरकार बना ले. बंगाल चुनाव के बाद वो ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहती कि यहां भी सरकार गिर जाए क्योंकि सामने UP का चुनाव है. कुछ भी गलत हुआ तो उसका प्रभाव UP पर पड़ सकता है. लिहाजा इस सारे राजनीतिक घटनाक्रम पर BJP, ‘wait and watch mode’ पर है.

क्या हैं समीकरण

बिहार में 243 सीटें हैं. आज की तारीख में NDA के पास 127 विधायक हैं. 110 महागठबंधन के पास और 5 AIMIM के. मतलब 242. एक विधायक मेवा लाल चौधरी की मौत कोरोना से हो गई है. अगर NDA की बात करें तो 127 में 4-4 विधायक जीतन राम मांझी की HUM और 4 मुकेश साहनी की VIP पार्टी से हैं. जो NDA के लिए कमज़ोर कड़ी है. अगर ये 8 निकल जाते हैं तो NDA 119 पर जाएगा और अगर ये लोग महागठबंधन के साथ गए तो वो 118 हो जाएंगे. साथ में 5 विधायक AIMIM के आ गए तो उनकी शक्ति123 की हो जाएगी यानी बहुमत. मतलब साफ है कि राजनीति की पाठशाला बिहार में अभी बहुत कुछ होना बाकी है.

Source : Zee news

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