_जिला उपभोक्ता आयोग मुजफ्फरपुर का महत्वपूर्ण फैसला!_
_परिवादी की ओर से मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा कर रहे थे मामले की पैरवी!_
मुजफ्फरपुर – जिला उपभोक्ता आयोग मुजफ्फरपुर ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इन्शुरेन्स कंपनी लिमिटेड को 27 (सताइस) लाख रूपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। विदित हो कि मीनापुर थाना अंतर्गत मुसाचक गाँव निवासी विजय कुमार ने बीमा कंपनी के विरुद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष सितम्बर 2021 में मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा के माध्यम से परिवाद दाखिल किया था।
अधिवक्ता एस. के. झा ने बताया कि परिवादी ने मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन का व्यवसाय इंडियन बैंक के बनघरा शाखा से ऋण लेकर प्रारम्भ किया था। परिवादी ने उक्त बीमा कंपनी से मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन के सुरक्षित व्यवसाय हेतु 17,50,000 (सतरह लाख पचास हजार) रूपये का बीमा करवाया था तथा संयन्त्र व मशीनरी की सुरक्षा हेतु 9,50,000 (नौ लाख पचास हजार) रूपये का बीमा कराया था। इस प्रकार कुल 27 (सताइस) लाख रूपये का बीमा शिकायतकर्ता ने बीमा कंपनी से अपने व्यवसाय की सुरक्षा हेतु करवाया था। इसके लिए शिकायतकर्ता ने बीमा कंपनी को कुल 15,115 (पंद्रह हजार एक सौ पंद्रह) रूपये का भुगतान किया था।
दुर्भाग्यवश 4 अगस्त 2020 को भीषण बाढ़ के कारण पूरा संयन्त्र और मशीनरी ही बाढ़ में नष्ट हो गया और परिवादी का मधुमक्खी पालन तथा शहद उत्पादन का पूरा व्यवसाय ही खत्म हो गया। परिवादी के द्वारा मामले की सुचना बीमा कंपनी को दी गई तथा बीमा क्लेम का दावा किया गया। बीमा कंपनी द्वारा टालमटोल किया जाने लगा तथा बीमा क्लेम की राशि देने में आनाकानी किया जाने लगा। बीमा कंपनी के कार्यालयों का चक्कर लगाते – लगाते परिवादी परेशान हो गया। थकहारकर परिवादी के द्वारा सितम्बर 2021 में जिला उपभोक्ता आयोग मुजफ्फरपुर में परिवाद दाखिल किया गया।
मामले की सुनवाई लगभग दो वर्षों तक चली। तत्पश्चात आयोग के अध्यक्ष पियूष कमल दीक्षित, सदस्य सुनील कुमार तिवारी एवं श्रीमती अनुसुया की पूर्ण पीठ के द्वारा बीमा कंपनी को 27 (सताइस) लाख रूपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया। उक्त बीमा कंपनी द्वारा नियत समय अवधि में बीमा राशि का भुगतान न करने पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान करने की तिथि तक 6 (छह) प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करना होगा। साथ ही शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 40,000 (चालीस हजार) रूपये का भी भुगतान करना होगा।
परिवादी की ओर से मामले की पैरवी कर रहे मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एस. के. झा ने बताया कि जिला उपभोक्ता आयोग का यह महत्वपूर्ण निर्णय है, और एक सन्देश है कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता।
I don’t think the title of your article matches the content lol. Just kidding, mainly because I had some doubts after reading the article.
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