पुरे भारत वर्ष मे हर साल 17 सितम्बर को भगवान विश्वकर्मा की पूजा धूमधाम से मनाई जाती है. कहा जाता है की इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है. इसी लिए इस दिन छोटे से लेकर बड़े तक हर स्तर के लोहे का कार्य करने वाले और इस्तेमाल करने वाले लोग इनकी पूजा करते है. हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था.
ये भी कहा जाता है सृष्टि की रचना में भगवान ब्रह्मा की सहायता भी भगवान विश्वकर्मा ने की थी. इसी लिए सभी छोटे बड़े व्यापारी, उद्योग के लोग इनकी पूजा बड़ी धूमधाम से करते है. यह पूजा सभी कलाकारों, बुनकर, शिल्पकारों और औद्योगिक घरानों द्वारा की जाती है. इनके बारे मे कुछ रोचक कथा भी कही जाती है जिसके मुताबिक धर्म की वस्तु नामक स्त्री से उत्पन वास्तु के सातवें पुत्र थें, जो शिल्पशास्त्र के प्रवर्तक थे. वास्तुदेव की अंगिरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा का जन्म हुआ था, अपने पिता की तरह विश्वकर्मा भी वास्तुकला के अद्धितीय आचार्य बनें.
कैसे करे पूजा
इस दिन सुबह उठकर अच्छे कपड़े पहनने चाहिए. पूजा के दौरान अपने साथ अक्षत, हल्दी, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, धूप, दीप और रक्षासूत्र से पूजा शुरु करें. इसके बाद जिन चीजों की आपको पूजा करनी हो उनपर हल्दी और चावल के साथ रक्षासूत्र चढ़ाएं. इसके बाद मंत्रों का उच्चारण करें.
भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से लोहे से निर्मित सामान जल्दी खराब नहीं होते है क्यों की भगवान विश्वकर्मा उनपर अपनी कृपा बनाकर रखते हैं !
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