भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी मंगलवार को अनंत चतुर्दशी पर्व मनाया जाएगा। इस अवसर पर श्रद्धालु भगवान श्रीहरि के अनंत स्वरूप की पूजा-अर्चना कर अनंत सूत्र धारण करेंगे. कई श्रद्धालुओं ने सोमवार को भी चतुर्दशी तिथि शुरू होने पर अनंत चतुर्दशी का व्रत किया. मगर अधिकांश लोग मंगलवार को उदयातिथि मानकर अनंत भगवान की आराधना करेंगे. भक्त नहाय-खाय की रस्म कर बिना लहसून, प्याज की बनी सब्जी, चना दाल व अरवा चावल आदि सेंधा नमक से बने पकवान को ग्रहण किया. घरों व मंदिर परिसर में पंडित अनंत पूजन कराकर कथा सुनाएंगे। अनंत के धागे को बांधकर हल्दी में क्षीर सागर का मंथन करेंगे। इसके बाद अंत में बाजू में अनंत धागे को धारण किया जाएगा।

इसबार अनंत चतुर्दशी पर पूजन का विशेष मुहूर्त 3 घंटे 41 मिनट का ही है। मंगलवार की सुबह 05. 59 बजे से सुबह 09.41 बजे तक पूजन का विशेष मुहूर्त है। इस पर्व में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। कलश की स्थापना कर धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर 14 गाठों वाला अनंत सूत्र बना इसे भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा करना चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुव:, स्व:, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी। इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे। इसलिए इसे भगवान विष्णु को प्रसन्न और अनंत फल देने वाला माना गया है।

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