मुजफ्फरपुर। शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि और मां दुर्गा का पट खुलने में अब एक ही दिन शेष रह गया है। ऐसे में पूजा पंडालों और देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ बढ़ने लगी है। मां दुर्गा की आरती के दौरान पूजा पंडालों और देवी मंदिरों में अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है।

स्त्री-पुरुष, युवा, बच्चे सभी मां की भक्ति में लीन हो गए हैं। शहर से गांव तक चहुंओर मां के भजन से माहौल भक्तिमय होने लगा है। रविवार को सुबह नौ बजे तक चतुर्थी तिथि में मां कूष्मांडा और उसके बाद पंचमी शुरू हुई तो मां स्कंदमाता की पूजा की गई। पं.प्रभात मिश्र बताते हैं कि सोमवार को दोपहर 2.36 बजे से 4.40 बजे तक माता के आह्वान को लेकर बेल निमंत्रण का मुहूर्त है। सोमवार को सुबह 6.29 बजे तक पंचमी तिथि है। इसके बाद षष्ठी तिथि शुरू हो जाएगी। नवरात्र में षष्ठी का विशेष महत्व होता है। इस दिन मां का आह्वान किया जाता है। इसके साथ चार दिवसीय नवरात्र महोत्सव की शुरुआत हो जाती है। इसके अगले दिन सप्तमी पर मां का पट भक्तों के लिए खोल दिया जाता है। नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना की जाती है। इनके पूजन से प्राणियों में अद्भुत शक्ति का संचार होता है और दुश्मनों का संहार करने की शक्ति मिलती है। मान्यता है कि जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा हो, उन्हें इस दिन मां कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए। इससे उन्हें मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है।

कहीं बज रहे ढोल तो कहीं भजनों की बह रही गंगा : देवी मंदिरों में मां की विशेष आराधना की जा रही है। कहीं ढोल बज रहा है तो कहीं लाउडस्पीकर पर मां के भजनों की गंगा बह रही है। रामबाग माई स्थान में संध्या में कलाकारों ने भव्य प्रस्तुति दी। आरती के समय वहां मौजूद लोग झूम उठे। वहीं देवी मंदिर में भजनों से माहौल भक्तिमय बना हुआ है।

पं.हरिशंकर पाठक कहते हैं कि मां दुर्गा का छठा रूप मां कात्यायनी है। यह ज्वलंत स्वरूप को प्रदर्शित करती हैं। आश्विन शुक्ल पक्ष की पंचमी एवं षष्टी तिथि एक साथ हो जाने से मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी की पूजा करने से शक्ति प्राप्त होती है। मां कात्यायनी अपने भक्तों को सुख और समृद्धि का भी वरदान देती हैं। मां कात्यायनी की तेजोमय छवि की आराधना से सफलता और प्रसिद्धि मिलती है। मां कात्यायनी का मंत्र अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली होता है। मां कात्यायनी की पूजा में लाल गुलाब अवश्य अर्पित करना चाहिए।

इनपुट : जागरण

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