मुजफ्फरपुर, उत्तर बिहार की उच्च शिक्षा में अपनी कर्मठता के बूते ऐतिहासिक योगदान देने वाले बाबू लंगट सिंह ने रेलवे के लाइनमैन से शिक्षाविद तक का सफर तय किया. उनका जन्म हाजीपुर- मुजफ्फरपुर रेलखंड के सराय स्टेशन से पांच किलोमीटर पश्चिम वैशाली जिले के धरहरा ग्राम के गोउनाइत मूल के भूमिहार ब्राह्मण किसान बाबू बिहारी सिंह के पुत्र के रूप में सन 1850 के अश्विन माह में हुआ.

इनके दादा उजियार सिंह पढ़े लिखे किसान थे. गांव में कोई स्कूल नहीं होने की वजह से इनकी शिक्षा प्राइमरी तक हुई. 15-16 वर्ष की उम्र में ही इनकी शादी हो गयी. तब लंगट सिंह के परिवार को कोई ज्यादा भूमि नहीं थी. वे आजीविका के लिए समस्तीपुर पहुंच गये. वहां समस्तीपुर-दरभंगा रेललाइन का काम चल रहा था, जिसमें इन्हें रेल पटरी के बगल में टेलीफोन लाइन में लाइनमैन का काम मिल गया. बचपन में वे सिर्फ प्राइमरी तक पढ़ना-लिखना सीखे.

मुजफ्फरपुर में खुलवाया पहला तिरहुत स्वदेसी स्टोर

दरभंगा से ग्रीयर साहब कलकत्ता महानगर निगम के अभियंता बनकर गये. तब ग्रीयर दंपती के अनुरोध पर लंगट सिंह भी अपने पुत्र आनंद बाबू के साथ 1880 में कलकत्ता चले गये और महानगर निगम में ठेकेदारी करने लगे. मैक डोनाल्ड बोर्डिंग हाउस के निर्माण के दौरान उनका पंडित मदन मोहन मालवीय से संपर्क हुआ. स्वामी दयानंद सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, ऊश्वरचंद विद्यासागर, आशुतोष बनर्जी से भी घनिष्ठता हो गयी. लंगट सिंह स्वदेशी के समर्थक हो गये. कलकत्ता में स्थापित प्रथम स्वदेसी बिक्री केंद्र स्वदेसी स्टोर्स बंग कॉटन मिल्स के निदेशक बन गये. उन्हाेंने मुजफ्फरपुर में भी पहला स्वदेसी तिरहुत स्टोर्स खुलवाया.

अंग्रेज अफसर की पत्नी ने सिखायी थी अंग्रेजी

रेललाइन का काम कर रहे अंग्रेज अभियंता ग्रीयर विल्सन इनके काम व लगन से प्रभावित होकर सुपरवाइजर बना दिया. वे ग्रीयर के साथ दरभंगा में रहने लगे. ग्रीयर की पत्नी की बहन मुजफ्फरपुर में रहती थी. उसके पति जेम्स विलियम विल्सन निलहे जमींदार थे. ग्रीयर की पत्नी का जरूरी पत्र, जिसमें उनकी पत्नी की बहन‌ के संतानोत्पत्ति की खबर थी, लेकर लंगट सिंह पैदल मुजफ्फरपुर आये. बाढ़ के समय में 18 घंटे में जवाब लेकर पैदल लौट गये. इससे ग्रीयर की पत्नी लंगट सिंह को काफी मानने लगी और लंगट सिंह को अंग्रेजी लिखना बोलना सिखाई. उसने ग्रीयर से पैरवी कर दरभंगा नरकटियागंज रेल लाइन निर्माण में ठेकेदारी दिलवा दी.

1899 में आया मुजफ्फरपुर में कॉलेज खोलने का विचार

लंगट सिंह ने 1899 में मुजफ्फरपुर कॉलेज खोलने का विचार किया. जमींदारों की मुजफ्फरपुर में बैठक बुलाई, जिसमें सभी ने मुजफ्फरपुर में हाइस्कूल के साथ कॉलेज खोलने का प्रस्ताव दिया. बैठक में हाइस्कूल व कॉलेज खोलने और उसका खर्च और संचालन की जिम्मेदारी उठाने वाले 22 सदस्यों की प्रबंध समिति गठित की गयी.

प्रबंध समिति के सदस्यों द्वारा तीन जुलाई 1899 को सरैयागंज में बाबू लंगट सिंह द्वारा दिये गये 13 एकड़ भूखंड में भूमिहार ब्राह्मण कॉलेजिएट स्कूल और भूमिहार ब्राह्मण कॉलेज की नींव रखी गयी. आज उनका सपना भूमिहार ब्राह्मण कॉलेज और लंगट सिंह कॉलेज के रूप में शिक्षा की रोशनी फैला रहा है. -धनंजय पांडेय की रिपोर्ट

इनपुट : प्रभात खबर

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