2021 में जातीय जनगणना नहीं होगी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपे हलफनामे में अपना रुख साफ कर दिया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 2021 में जाति जनगणना नहीं की जा सकती है और यह सुविचारित फैसला है. 2021 की जनगणना में पहले की तरह अनुसूचित जाति-जन जाति के अलावा कोई जाति आधारित गणना नहीं होगी. केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना ‘सतर्क नीति निर्णय’ है.

दरअसल, महाराष्ट्र की एक याचिका के जवाब में उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर किया गया. महाराष्ट्र सरकार ने याचिका दायर कर केंद्र एवं अन्य संबंधित प्राधिकरणों से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंधित एसईसीसी 2011 के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग की और कहा कि बार-बार आग्रह के बावजूद उसे यह उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.

इस पर सरकार ने कहा कि एसईसीसी 2011 सर्वेक्षण ‘ओबीसी सर्वेक्षण’ नहीं है जैसा कि आरोप लगाया जाता है, बल्कि यह देश में सभी घरों में जातीय स्थिति का पता लगाने की व्यापक प्रक्रिया थी. केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल करने के बाद न्यायाधीश एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 26 अक्टूबर निर्धारित की है.

गौरतलब है कि हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 10 दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. राज्य में सत्ता पक्ष व विपक्ष जातीय जनगणना कराने की जोरदार मांग कर रहे हैं.

Source : Zee News

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