बिहार में नवगठित नगर निकायों में पंचायतों के विलय होने के बाद उन पंचायतों का अस्तित्व समाप्त हो गया है. अब ऐसे पंचायत समाप्त हो गये हैं. पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि नगर निकायों में विलीन हो चुकी पंचायतों में अब कोई परामर्शी समिति नहीं होगी. राज्य में करीब 300 से अधिक पंचायतों का नव गठित नगर निकायों का दर्जा दिया जा चुका है. अब वहां पर पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होता है तो वहां पर परामर्शी समिति नहीं होगी.
चौधरी ने कहा कि पंचायती राज संस्था को पूर्ण अथवा आंशिक रूप से नगर निकाय में सम्मिलित कर दिये जाने के पूर्व संबंधित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे पंचायत प्रतिनिधि को परामर्शी समिति में कोई स्थान नहीं होगा. संबंधित पंचायत के क्षेत्र को जिस तिथि से नगर निकाय में सम्मिलित कर लेने की अंतिम अधिसूचना निर्गत की गयी है उस तिथि से संबंधित प्रतिनिधि पंचायत के पद धारक नहीं रह गये हैं.
उदाहरण स्वरूप अगर किसी ग्राम पंचायत को पूर्ण रूप से नगर निकाय में सम्मिलित कर लिया गया है तो उस ग्राम पंचायत के मुखिया एवं सभी ग्राम पंचायत सदस्य(वार्ड सदस्य), ग्राम कचहरी के सरपंच व पंच अपने पद से उसी तिथि से मुक्त हो गये हैं.
अगर ग्राम पंचायत के कुछ वार्ड ही नगर निकाय में शामिल किये गये हैं तो उस वार्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे वार्ड सदस्य अपने पद से मुक्त हो गये हैं. यही स्थिति ग्राम कचहरी, पंचायत समिति और जिला परिषद के सम्बंध में भी लागू होगा. परामर्शी समिति में वैसे क्षेत्रो के पंचायत प्रतिनिधि शामिल नहीं किये जायेंगे जो क्षेत्र पूर्ण अथवा अपूर्ण नगर निकाय में सम्मिलित कर लिये गये हैं.
इनपुट : प्रभात खबर