बिहार पंचायत चुनाव के दंगल में पहलवान सामने आ रहे है. ऐसे में कई जगहों पर आरक्षण रोस्टर की वजह से बिना अखाड़े में उतरे भी महारथी चित होने लगे है. आरक्षित सीट होने की वजह से उनकी उम्मीदवारी भी नहीं हो रही है. ऐसे में कई लोगों ने रोस्टर को ध्यान में रखते दूसरी शादी भी करने लगे है.
पद की लालसा में दापंत्य खतरे में
लोकतंत्र के इस पर्व में शामिल होने का नशा लोगों के सर इस तरह हावी हो रहा है कि पद की लालसा में दापंत्य खतरे में दिखने लगा है. खासबात यह है कि सात फेरे में लिये गये कसम नामांकन से लेकर मतगणना तक में ही तार तार हो रहे है.
चुपके से हो रही चुनावी शादियां
खासकर दलित, पिछड़ा और महिला सीट होने के बाद पंचायत में सक्रिय राजनीति करने वालों को जीवन साथी बदलने की कवायद करनी पड़ रही है. ऐसी चुनावी शादियां चुपके से हो रही है. जिसमें बाराती की जगह प्रस्तावक व समर्थक ही शामिल हो रहे है.
– पंचायत में ही आरक्षण रोस्टर देख शुरू हुई रिश्तेदारी
इसी तरह का एक मामला प्रखंड के बिशनपुर सुंदर, रामनगर महेश, परमानंदपुर ग्राम पंचायत में सामने आया है. बिशनपुर सुंदर में मुखिया सीट अत्यंत पिछड़ा अन्य के लिए अरक्षित है, यहां से संभावित प्रत्याशी बनने की उम्मीद में महेश्वरी कुमार ने अति पिछड़ी महिला से दूसरी शादी रचा ली है.
मुखिया पद के लिए दूसरी शादी
वहीं रामनगर महेश के मुखिया व पंचायत समिति सदस्य पद अत्यंत पिछड़ा महिला के लिए आरक्षित है. यहां मुखिया पद के मो आलम और पंसस पद से मो परवेज ने भी दूसरी शादी पिछड़ी जाति के महिला से कर ली है. इसी प्रकार परमानंदपुर पंचायत में मुखिया सीट दलित महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है. जहां के रविंद्र नाम के स्थानीय नेता ने प्रत्याशी बनाने के लिए अपने पुत्र की शादी दलित वर्ग की महिला से करा दी है.
उम्रदराज लोग पुत्र तक की रचा रहे शादी
लगातार पंचायत की राजनीति में सक्रिय लोगों के सामने आरक्षण के आ जाने से भविष्य पर संकट मंडराने लगा है. ऐसे में जवान लोग स्वयं मंडप पर बैठने से परहेज नहीं कर रहे है. वहीं उम्रदराज लोग आनन फानन में पुत्र तक की शादी भी रचा रहे है. ऐसे में पंचायत के जानकार रोजाना समीकरण बदलते भी देख रहे है. उनका मानना है कि उम्मीदवार किसी भी वर्ग से हो लेकिन पति व ससुर के आधार मत पर ही चुनावी रणनीति तैयार की जा सकती है.
नई नवेली दुल्हन को मिल रही मुंह दिखाई-
चुनाव प्रचार में निकली ऐसे नई नवेली दुल्हन को वोट के लिए आशीर्वाद के अलावा मुंह दिखाई भी मिल रही है. उन्हें गांव की महिलाएं संबंध के अनुसार विदाई भी दे रही है. कई जगहों पर तो पति द्वारा समारोहपूर्वक आयोजन में नई पत्नी को सामने भी लाया जा रहा है. पंचायत चुनाव में ऐसे कई किस्से इन दिनों चर्चा में है. अमूमन जिले के सभी प्रखंडों में ऐसे उम्मीदवारों की मौजूदगी है.
इनपुट : प्रभात खबर