मुजफ्फरपुर, अब जूते-चप्पल भारतीय पैरों की माप के अनुसार तैयार किए जाएंगे। इसके लिए राष्ट्रीय फुटवियर आकार प्रणाली पर काम हो रहा है। इसके तहत देश के अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के पैरों की माप ली जा रही है। बिहार और झारखंड में माप लेने का काम मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एमआइटी) कर रहा है। केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान, चेन्नई (सीएलआरआइ) व उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग भारतीय पैरों की माप के अनुसार जूते-चप्पल पर काम कर रहा है।

इसके लिए देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग संस्थाओं को जिम्मेदारी दी गई है।बिहार व झारखंड में यह काम एमआइटी कर रहा है। उसे दोनों राज्यों के पांच जिलों में चार वर्ष से लेकर 55 वर्ष तक के पांच हजार लोगों के पैरों की माप लेनी है। फरवरी में काम शुरू हुआ था। मधुबनी और दरभंगा में काम हो चुका है। यहां क्रमश: 1200 व 1500 लोगों के पैरों की माप ली गई है। पटना में काम चल रहा है। इसके बाद झारखंड के लातेहार व खरसावां में माप ली जाएगी।

इस तरह ले रहे माप

पैरों की बनावट, चौड़ाई, लंबाई आदि के नमूने लेने के लिए थ्रीडी डिजिटल इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें आप्टिकल लेजर स्कैनिंग मशीन के जरिये 20 से भी अधिक बिंदुओं पर पैर की माप ली जा रही है। माप का काम पूरा होने पर रिपोर्ट केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान को भेजी जाएगी। वहां अध्ययन के बाद भारतीय साइज विकसित की जाएगी।

अप्रैल के अंत तक पूरा हो जाएगा काम

एमआइटी के लेदर डिपार्टमेंट के प्रो. मणिकांत केअनुसार देश में आज भी यूनाइटेड किंगडम (यूके) और यूनाइटेड स्टेट्स (यूएस) के फुट साइजिंग मानक का प्रयोग हो रहा है। अब तक के अध्ययन में पाया गया है कि भारत में क्षेत्र के अनुसार लोगों के पैरों के आकार अलग-अलग हैं। उन्हें विदेशी माप से जूते लेने पर फीटिंग की समस्या होती है। अप्रैल के अंत तक माप लेने का काम पूरा हो जाएगा।

माप के लिए आयु के अनुसार वर्गीकरण

सी ग्रुप : बालक (4 से 11 वर्ष आयु के बालक एवं बालिकाएं)

जी गु्रप : लड़कियां (12 से 18 वर्ष की किशोरियां)

बी ग्रुप : लड़के (12 से 18 वर्ष के किशोर)

डब्ल्यू ग्रुप : महिलाएं (19 से 55 वर्ष की महिलाएं)

एम ग्रुप : पुरुष (19 से 55 वर्ष के पुरुष)

इनपुट : जागरण

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