बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की कहानी बड़े पर्दे पर दिखेगी। 22 वर्ष से फिल्म इंडस्ट्री में बतौर राइटर-डायरेक्टर पहचाने जाने वाले कुमार नीरज इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं। मुजफ्फरपुर समेत अलग-अलग जगहों पर रह रहीं चार महिलाएं इसे प्रोड्यूस कर रही हैं। कुमार नीरज इसे हिन्दी फिल्म‘नफीसा’के जरिए पर्दे पर दिखाने जा रहे हैं। मुजफ्फरपुर में नीरज का ननिहाल है।

नीरज बताते हैं कि इस फिल्म पर कई महीनों से काम चल रहा है। लॉकडाउन के कारण दस दिन की शूटिंग होने के बाद प्रोजेक्ट रुक गया था। फिल्म की शूटिंग मार्च से फिर शुरू होने जा रही है। फिल्म की शूटिंग बिहार में होगी। कुछ शूटिंग मुंबई में भी की जाएगी। सच्ची घटनाओं पर फिल्म बनाने वाले नीरज का कहना है कि फिल्म नफीसा उनकी मोस्ट अवेटेड फिल्मों की सूची में शामिल है।

पीड़ित लड़कियों से मिलकर जाना सच

नीरज कहते हैं कि हमारी कोशिश हमेशा सत्य घटनाओं पर फिल्म बनाने की रही है। इसी क्रम में इन महिलाओं ने इसका प्रस्ताव रखा।हमने बालिका गृह कांड की शिकार पांच लड़कियों से बात की।‘नफीसा’शेल्टर होम की घटना के सच को बड़े पर्दे पर जीवंत करेगी। कुमार नीरज इससे पहले गैंग्स ऑफ बिहार बनाकर सुर्खियां बटोर चुके हैं। फिल्म की निर्माता चार महिलाएं हैं। चारों दोस्त हैं। मुन्नी सिंह और खुशबू मुजफ्फरपुर की हैं। वैशाली देव अमेरिका व वीणा साह गुजरात से हैं। मुन्नी और खुशबू कई भोजपुरी फिल्मों का निर्माण कर चुकी हैं।

मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड ने बिहार सरकार को हिला दिया था

विश्व भर में चर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड यतीम और मासूम, बेघर बच्चियों पर दरिंदगी और जुल्म की कहानी है जिसका मास्टरमांड है ब्रजेश ठाकुर। ब्रजेश फिलहाल अपने 19 साथियों के साथ तिहाड़ उम्रकैद की सजा काट रहा है। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने ब्रजेश को अंतिम सांस तक सलाखों के पीछे रखने की सजा सुनाई है। कांड के एक दोषी रामानुज की जेल में ही मौत हो चुकी है। इस मामले में विपक्षी दलों ने सरकार पर इतना हमला किया कि तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजु वर्मा को पद से हटा दिया गया था। बाद मंजु वर्मा को अपने पति के साथ जेल जाना पड़ा था।

ये है बालिका गृह कांड की कहानी

दरअसल, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस मुंबई की एक टीम द्वारा 2018 में एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति का सर्वेक्षण किया गया था। इसी संस्था द्वारा मुजफ्फरपुर में बालिका गृह का संचालन किया जा रहा था। एनजीओ और बालिका गृह का सर्वेसर्वा ब्रजेश ठाकुर था। सर्वेक्षण के बाद टिस की टीम ने मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौंपा था। रिपोर्ट में कहा गया कि बालिका गृह में बहुत सारी गड़बड़ियां हैं। वहां रहने वाली लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़ण किया जाता है। जिला प्रशासन के आदेश पर समाजिक सुरक्षा विभाग के तत्कालीन सहायक दिवेश कुमार शर्मा के बयान पर 31 मई को महिला थाना में FIR दर्ज की गयी। आश्चर्यजनक रूप से उस FIR में मास्टमारमांड ब्रजेश ठाकुर का नाम नही था। यौन उत्पीड़ण और पॉक्सो की धाराओं में सेवा संकल्प एवं विकास समिति की महिला कर्मियों के साथ संचालकों को अभियुक्त बनाया था। पुलिस की जांच में ब्रजेश ठाकुर को अभियुक्त बनाया गया।

इस कांड की गम्भीरता को देखते हुए ब्रजेश ठाकुर को पहले हिरासत में लिया गया। बाद में तत्कालीन SSP हरप्रीत कौर के आदेश पर ब्रजेश ठाकुर को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इस प्रकरण में ब्रजेश ठाकुर की महिला साथी मधु उर्फ शाइस्ता परवीन भी शामिल थी। लेकिन ब्रजेश की गिरप्तारी के साथ ही वह फरार हो गयी थी। मुजफ्फरपुर पुलिस ने कांड दर्ज होने के साथ ही बालिका गृह में रहने वाली सभी ल़ड़कियों को दूसरे जिले के होम में भेज दिया था।

नशे की सुई देकर होता था दुष्कर्म

मुजफ्फरपुर महिला थाना पुलिस की तफ्तीश में इस कांड की सच्चाई परत-दर-परत खुल गयी। एफआईआर दर्ज होने के बाद महिला थाना की तत्कालीन थानेदार ज्योति कुमारी को जांच का जिम्मा दिया गया था। ब्रजेश ठाकुर और नामजद महिला कर्मियों को जेल भेजने के बाद दारोगा ज्योति कुमारी ने पूरी मेहनत से बालिका गृह की आड़ में यौन उत्पीड़न के खेल की जांच की। महिला थानेदार ने बालिका गृह से मुक्त कराई गयी 46 बच्चियों से उनकी दोस्त और रिश्तेदार बनकर बात की। को मुक्त कराया और दूसरे जिले के आश्रय गृह में शिफ्ट किया था। इसके बाद जब उन 46 बच्चियों के बयान हुआ तो सभी ने इन आरोपियों पर दुष्कर्म, नशीला सुई देना, मारपीट, प्रताड़ना समेत कई दिल दहला देने वाले आरोप लगाए थे। इसी आधार पर चार्जशीट भी दायर हुई।

सीबीआई ने दो बड़े अधिकारियों को भेजा जेल

एक महीने बाद सरकार के आदेश पर इस कांड की जांच जिम्मेदारी सीबीआई ने संभाल लिया। सीबीआई ने मुजफ्फरपुर में कैम्प कार्यालय बनाकर जांच शुरू की। एजेंसी की जांच में नामजद आरोपियों के अलावे कई नाम उजागर हुए। कांड में कुल 21 आरोपियों की संलिप्तता उजागर हुई। मास्टम माइंड ब्रजेश के बाद उसकी महिला मित्र मधु, तत्कालीन जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी रवि रौशन,सहायक निदेशक रोजी रानी, बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष दिलीप वर्मा, सदस्य विकास कुमार, महिला कर्मी मीनू देवी, मंजू देवी, इंदु कुमारी, नेहा कुमारी, चंदा देवी, हेमा मसीह, किरण कुमारी, विजय तिवारी, गुड्डू पटेल, किशन राम उर्फ कृष्णा, डॉ. अश्विनी उर्फ आसमानी, रामानुज ठाकुर, प्रेमिल, विक्की और रामाशंकर की संलिप्तता उजागर हुई। सीबीआई ने मधु को छोड़कर सबको गिरफ्तार कर लिया।

मधु को नही पकड़ सकी सीबीआई

इस कांड के आरोपी एक-एक कर सब गिरफ्तार होते चले गए। लेकिन, मधु को सीबीआई नही पकड़ पाई। सीबीआई ने मधुबनी, नेपाल, दिल्ली समेत कई जगहों पर तलाश किया और वह अपना ठिकाना बदलती रही। अंत में मुजफ्फरपुर कोर्ट परिसर में अपने वकील के साथ मधु ने खुद को सीबीआई के हवाले कर दिया। 24 घंटों की पूछताछ के बाद उसे जेल भेज दिया। सीबीआई की पूछताछ में मधु ने ब्रजेश ठाकुर के काले संसार की पूरी सच्चाई उजागर कर दिया। मधु का बयान सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दिलाने में कारगर साबित हुआ।

काली कमाई भी जब्त

ब्रजेश ठाकुर ने अपनी संस्था की आड़ में अकूत काली कमाई की। एक लोकल हिन्दी डेली का संचालक भी था ब्रजेश ठाकुर। अपने संपादकीय की आड़ में वह सरकार और पदाधिकारी का चहेता भी रहा। इस वहज से संस्था चलाकर उसने भारी कमाई की। बालिका गृह कांड उजागर होने के बाद उसके काले साम्राज्य का पर्दाफाश हो गया और ईडी ने उसकी सारी संपत्ति को जब्त कर लिया।

Input : live hindustan

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