बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आश्चर्य जताया है कि देश के हजारों बच्चे यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने जाते हैं और उन्हें इसके बारे में हाल में ही जानकारी मिली है.

विधानसभा में प्राइवेट कॉलेजों में फीस तय करने को लेकर हो रही चर्चा के दौरान नीतीश ने कहा कि उन्हें पहले इस बात की जानकारी थी कि विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए कुछ ही बच्चे जाया करते थे.

मगर रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग में फंसे भारतीय छात्रों की बड़ी संख्या को देखकर उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि हजारों की संख्या में भारतीय छात्र और छात्राएं विदेशों में पढ़ाई करने जाते हैं.

‘मेडिकल की पढ़ाई के लिए क्यों जाना पड़ रहा विदेश’

नीतीश ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को विचार करना चाहिए कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में छात्र विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने क्यों जाते हैं? नीतीश कुमार ने कहा “इसके बारे में सभी को मिलकर विचार करना पड़ेगा कि ऐसी नौबत ना आए कि देश के छात्र छात्राओं को विदेशों में पढ़ाई करने के लिए जाना पड़े.”

‘रूस और यूक्रेन में जंग छिड़ी तो पता लगा कि…’

नीतीश ने कहा कि भारत में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए कड़ी प्रतियोगी परीक्षा पास करनी पड़ती है, मगर यूक्रेन के मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि इस सबके बारे में उन्हें जानकारी रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के दौरान ही मिली है.

‘भारत में मेडिकल की पढ़ाई की फीस ₹1 करोड़ तक’

नीतीश ने बताया कि उन्हें इस बात की भी जानकारी रूस और यूक्रेन के जंग के बीच मिली है कि यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई काफी सस्ती है और देश में इसको लेकर विचार किया जाना चाहिए. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई सस्ती होने को लेकर नीतीश ने कहा कि उन्हें पता चला है कि देश में कई प्राइवेट कॉलेजों में मेडिकल की पढ़ाई की फीस ₹1 करोड़ तक होती है जबकि यूक्रेन में केवल ₹20 से ₹25 लाख में ही मेडिकल की पढ़ाई हो जाती है.

इनपुट : आज तक

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