मुजफ्फरपुर में बनी अगरबत्ती की खुशबू महानगरों में फैलेगी। इसके लिए अगरबत्ती उद्योग को तकनीकी आदि मदद उपलब्ध कराई जाएगी। इस संबंध में खादी व ग्रामोद्योग आयोग ने उद्योग विभाग से एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम) व पीएमईजीपी (प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम) योजना के तहत संचालित अगरबत्ती फैक्ट्रियों की सूची मांगी है।

जिला उद्योग केंद्र के स्तर से खादी व ग्रामोद्योग आयोग को जिले में संचालित अगरबत्ती फैक्ट्रियों की सूची उपलब्ध कराई जाएगी। इसके बाद आयोग की ओर से चल रही अगरबत्ती पायलट प्रोजेक्ट 2021-2022 से स्थानीय अगरबत्ती उद्योग को जोड़ा जाएगा। अगरबत्ती की गुणवत्ता को बेहतर बनाने व इसकी लाइफ बढ़ाने के लिए कारीगरों को ट्रेनिंग दी जाएगी।

साथ ही स्थानीय अगरबत्ती को कर्नाटक व अन्य दक्षिण के राज्यों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसकी बेहतर पैकेजिंग व मार्केटिंग की भी ट्रेनिंग दी जाएगी। अगरबत्ती को महानगरों व अन्य राज्यों तक बाजार उपलब्ध कराए जाने की तैयारी है।

उत्तर बिहार उद्यमी संघ के महासचिव विक्रम कुमार ने बताया कि अगरबत्ती पायलट प्रोजेक्ट से स्थानीय अगरबत्ती उद्योगों को जोड़ने से उद्यमियों व कारीगरों को फायदा होगा। जिले में अगरबत्ती की करीब 50 फैक्ट्रियां संचालित हैं। इसमें अधिकांश के उत्पाद स्थानीय व आसपास के जिलों के बाजारों में आपूर्ति की जाती है।

परियोजना के प्रमुख उद्देश्य

आत्मनिर्भरता का निर्माण करने के लिए अगरबत्ती की स्थानीय उत्पादन क्षमता को बढ़ाना

कारीगरों को अगरबत्ती बनाने की मशीन का प्रशिक्षण और वितरण कर स्थायी रोजगार सृजित करना0

खादी संस्थाओं द्वारा निर्मित अगरबत्ती के उत्पादन में वृद्धि करना

पेडल से चलने वाली मशीनें व कारीगरों की कमाई क्षमता को उन्नत करने का लक्ष्य

कच्चे माल की आपूर्ति के लिए सफल अगरबत्ती निर्माताओं और उद्यमियों के साथ गठजोड़ करना

एफएफडीसी में प्रशिक्षित मास्टर प्रशिक्षकों के माध्यम से कारीगरों को स्कील डेवलपमेंट पर ट्रेनिंग

तकनीकी प्रोत्साहन, वैकल्पिक कच्चे माल, पैकेजिंग, आदि के लिए पैकेजिंग संस्थान से मदद दिलाना

Input : Live Hindustan

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