पूर्णिया. पूरी दुनिया आज वैलेंटाइन डे (Valentine Day) मना रही है. प्रेमी जोड़े एक दूसरे को प्यार का इजहार कर रहे हैं तो साथ जीने-मरने की कसमें खा रहे हैं लेकिन आज हम बता रहे हैं एक ऐसे बुजुर्ग की कहानी जिसने अपनी पत्नी से ने केवल प्यार किया बल्कि उसकी मृत्यु के बाद भी रोज साथ रहने की कोशिश कर रहा है. पत्नी से किए गए प्यार और वादों को पूर्णिया के बुजुर्ग साहित्यकार भोला नाथ आलोक (Purnia Man Bholanath Alok) निभा रहे हैं और उनका सच्चा प्यार आज पूरी दुनिया के प्रेमी युगल के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है.

पूर्णिया के 90 वर्ष के बुजुर्ग साहित्यकार भोलानाथ आलोक की पत्नी पद्मा रानी का निधन 32 साल पहले ही हो गया था. उन्होंने पिछले 32 सालों से अपनी पत्नी के प्यार की निशानी के रूप में उनका अस्थि कलश सिपाही टोला स्थित अपने घर में आम के पेड़ में लटका कर रखा है. वह प्रतिदिन अपनी पत्नी के अस्थि कलश पर आकर गुलाब का फूल चढ़ाते हैं और अगरबत्ती दिखाकर प्रणाम करते हैं. भोलानाथ आलोक का कहना है कि 32 साल पहले उनकी पत्नी का निधन हुआ था तभी उसने लिखित संकल्प लिया कि जिस दिन उनका निधन होगा तब उनकी पत्नी का अस्थि कलश उनके शव के छाती पर डालकर उसका दाह संस्कार किया जाएगा, ताकि उनका प्रेम अजर अमर रहे.

वह आज भी प्रतिदिन अपनी पत्नी को याद करते हैं और उनकी पूजा करते हैं. उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी वैलेंटाइन तो मनाती है लेकिन उन्हें सच्चा प्यार क्या होता है यह सीखना चाहिए. भोलानाथ आलोक के नाती ने कहा कि उनके नाना पिछले 32 सालों से रोज यहां आकर अस्थि कलश को छूकर प्रणाम करते हैं और उसकी पूजा करते हैं. भोलानाथ आलोक पर पुस्तक लिखने वाले साहित्यकार डॉक्टर रामनरेश भक्त का कहना है कि भोलानाथ आलोक का अपनी पत्नी के प्रति अगाध और आत्मीय प्रेम है. वह हम सबों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. उन्होंने कहा कि भोलानाथ आलोक का कहना है कि वह अपनी पत्नी का अस्थि कलश अपने सामने रखे हुए हैं ताकि वह उस प्रेम को प्रतिदिन महसूस कर सकें.

Source : News18

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