जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को लेकर बिहार में इन दिनों सियासत गर्माती हुई दिखाई दे रही है. बीती शनिवार को लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने उपेंद्र कुशवाहा को आरजेडी में शामिल होने का न्योता दे दिया है.

दरअसल, आरजेडी (RJD) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी (Mritunjay Tiwary) ने उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) से उनके आवास पर मुलाकात की थी. इस मुलाकात को प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने निजी बताया गया था.

उधर, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तेजप्रताप ने शनिवार को कहा कि उपेंद्र कुशवाहा सॉफ्ट हो गए हैं. वे आरजेडी ज्वाइन कर लें. तेज प्रताप यादव ने यह भी कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ने पंखा बनाया था. वो तो खत्म हो गया. अब वे आरजेडी ज्वाइन कर लें. उनके इस बयान के बाद तरह-तरह की चर्चा हो रही है. हालांकि, बीते शनिवार को ही उपेंद्र कुशवाहा ने यह साफ कर दिया था कि इस तरह की कहीं कोई बात नहीं है.

मृत्युंजय तिवारी ने बताया मुलाकात को निजी

शनिवार को मुलाकात के बाद मृत्युंजय तिवारी ने मीडिया से कहा था कि उपेंद्र कुशवाहा से उनकी निजी मुलाकात हुई थी. यह मुलाकात पूरी तरह से निजी थी. इसके कोई भी राजनीतिक मायने नहीं हैं. उनके पहले से ही उनसे निजी हैं.

उन्होंने बताया था कि एयरपोर्ट से जाने के दौरान रास्ते में ही उनका आवास पड़ा तो मुलाकात हो गई. जब दो राजनीतिक दल के नेता मिलते हैं तो कुछ राजनीतिक बातें होती हैं. उपेंद्र कुशवाहा का धन्यवाद कि उन्होंने जातीय जनगणना और विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर अपना स्टैंड स्पष्ट किया. बाकी दलों के भी कई नेता इस मुद्दे को लेकर तेजस्वी यादव के साथ हैं.

उपेंद्र कुशवाहा बोले- सिर्फ व्यक्तिगत मुलाकात

वहीं, उपेंद्र कुशवाहा का कहना था कि मृत्युंजय तिवारी व्यक्तिगत काम से मिलने आए थे. कोई राजनीतिक मकसद नहीं था. तिवारी जी बाबा हैं उनका आशीर्वाद कभी लालू जी को मिलता है तो कभी नीतीश जी को तो कभी हमें भी मिलता है.

कुशवाहा की राजनीति में ऐसे हुई थी एंट्री

उपेंद्र कुशवाहा ने कर्पूरी ठाकुर से प्रभावित होकर लोकदल से अपना सियासी सफर 1985 में शुरू किया. इसके बाद 1985 से 1988 तक लोकदल के युवा राज्य महासचिव रहे. उनकी सक्रियता को देखते हुए पार्टी ने 1988 से 1993 तक राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंप दी थी. 1994 में समता पार्टी का महा सचिव बनने के साथ ही उपेंद्र कुशवाहा को राजनीति में महत्व मिलने लगा. इस पद पर वे 2002 तक रहे. साल 2000 से 2005 तक बिहार विधान सभा के सदस्य रहे और विधान सभा के उप नेता और फिर नेता प्रतिपक्ष भी नियुक्त किए गए. फरवरी 2014 को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में शामिल हो गई. 2014 के आम चुनाव में RLSP ने बिहार से तीन सीटों सीतामढ़ी, काराकट और जहानाबाद पर चुनाव लड़ा. मोदी लहर पर सवार RLSP ने इस चुनाव में तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी.

मोदी सरकार में साल 2014 में उन्हें ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेय जल और स्वच्छता मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाया गया था. इसके बाद नवंबर में जब कैबिनेट में फेरबदल हुआ तो केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाया गया. उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री के पद से इस्तीफे के साथ ही एनडीए से भी नाता तोड़ दिया था.

बता दें, उपेंद्र कुशवाहा मुजफ्फरपुर के बीआर अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में एमए हैं. समता कॉलेज में राजनीति विज्ञान के लेक्चरर के तौर पर भी काम चुके हैं. किए थे।

Source : Tv9 bharatvarsh

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