पटना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) मंगलवार को एक दिन के दौरे पर बिहार आए थे. उन्होंने यहां बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) के शताब्दी समापन समारोह में शिरकत किया. इस दौरान उन्होंने यहां एक स्मारक स्तंभ का अनावरण किया, कल्पतरु का वृक्ष लगाया और एक गेस्ट हाउस व एक पुस्तकालय की आधारशिला रखी. पीएम मोदी (PM Modi) ने इस अवसर पर भारत में लोकतंत्र को बनाए रखने में बिहार की भूमिका को अग्रणी बताते हुए उसकी सराहना की.
बिहार विधानसभा में PM मोदी के भाषण की बड़ी बातें
– आप सभी को बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष की शुभकामनाएं. बिहार का यह सौभाग्य है कि जो बिहार से स्नेह करता है, बिहार उस प्यार को कई गुना करके लौटाता है. आज मुझे बिहार विधानसभा परिसर में आने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होने का सौभाग्य भी मिला है.
– भारत एक लोकतंत्र है क्योंकि हम सामंजस्य में विश्वास करते है. हमें प्राय: कहा जाता है कि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है. मैं चाहता हूं कि देशवासी यह याद रखें कि हम केवल सबसे बड़े नहीं हैं, बल्कि भारत सभी लोकतंत्रों की जननी है. मैं जब भी वैश्विक मंचों पर जाता हूं, तो बड़े गर्व से कहता हूं कि विश्व में लोकतंत्र की जननी हमारा भारत है. भारत Mother of Democracy है.
– दशकों से हमें यह बताने की कोशिश होती रही है कि भारत को लोकतंत्र विदेशी हुकूमत और विदेशी सोच के कारण मिला है. लेकिन, कोई भी व्यक्ति जब ये कहता है तो वो बिहार के इतिहास और बिहार की विरासत पर पर्दा डालने की कोशिश करता है. बिहार की गौरवशाली विरासत, पाली में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेज इसके जीवंत प्रमाण हैं. बिहार के इस वैभव को न कोई मिटा सकता है, न छिपा सकता है.
– बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है. यहां कई बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं.
आजादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने की अपील की थी. यहीं नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार पंचायती राज जैसे अधिनियम को पास किया है.
– बिहार ने आजाद भारत को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के रूप में पहला राष्ट्रपति दिया है. लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवन राम जैसे नेतृत्व इस धरती पर हुए. जब देश में संविधान को कुचलने का प्रयास हुआ, तो भी उसके खिलाफ बिहार ने आगे आकर विरोध का बिगुल फूंका.
– दुनिया के लिए 21वीं सदी भारत की सदी है. हमें इसी सदी में, अगले 25 वर्षों में नए भारत के स्वर्णिम लक्ष्य तक पहुंचना है. इन लक्ष्यों तक हमें हमारे कर्तव्य ही लेकर जाएंगे. इसलिए, यह 25 साल देश के लिए कर्तव्य पथ पर चलने के साल हैं.
– देश के सांसद के रूप में, राज्य के विधायक के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि हम लोकतंत्र के सामने आ रही हर चुनौती को मिलकर हराएं. पक्ष-विपक्ष के भेद से ऊपर उठकर, देश के लिए, देशहित के लिए हमारी आवाज एकजुट होनी चाहिए.
– पिछले कुछ वर्षों में संसद में सांसदों की उपस्थिति और संसद की उत्पादकता में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है.
संसद के पिछले बजट सत्र में लोकसभा की उत्पादकता 129 प्रतिशत और राज्यसभा की उत्पादकता 99 प्रतिशत रही. देश नए संकल्पों पर काम कर रहा है, लोकतांत्रिक विमर्श को आगे बढ़ा रहा है.
Source : News18
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