बिहार में पंचायत चुनाव की तारीखों का बेशक एलान नहीं हुआ है लेकिन सभी उम्मीदवार जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हुए हैं। चुनाव की तारीखों को लेकर सस्पेंस बरकरार है। राज्य में पंचायत चुनाव बैलेट पेपर से हों या ईवीएम से, इसे लेकर पेंच फंसा हुआ है। पटना हाईकोर्ट में बिहार और केंद्रीय निर्वाचन आयोग के बीच ईवीएम और बैलेट पेपर को लेकर याचिका दाखिल की गई है। इसपर फिलहाल कोई फैसला नहीं आया है।
पहले खबर थी कि 19 फरवरी को पटना हाईकोर्ट मामले पर फैसला सुना देगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तब से अब तक सात बार फैसला टल चुका है। अब 21 अप्रैल को इसपर फैसला आने की उम्मीद है। हाईकोर्ट से फैसला आने में देरी से एक बात स्पष्ट है कि बिहार में तय समय पर पंचायत चुनाव नहीं होंगे।
राज्य सरकार का कहना है कि वह तय समय पर पंचायत चुनाव कराने के लिए तैयार है। हालांकि सरकार ने यह भी कहा है कि हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद ही सरकार दूसरे विकल्प पर विचार करेगी। पंचायतों की वर्तमान कमेटियां 15 जून तक ही प्रभावी रह सकेंगी। नियम के अनुसार 15 जून से पहले चुनाव होने जरूरी हैं।
इससे पहले 2016 में 25 फरवरी को चुनाव की अधिसूचना जारी की गई थी। 24 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव हो गया था। इस बार 21 अप्रैल को यदि हाईकोर्ट अपना फैसला सुना देता है तो चुनाव प्रक्रिया को पूरा होने में अगस्त तक का समय लग सकता है।
संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले प्रतिनिधियों की बढ़ेगी परेशानी
31 मार्च 2021 तक चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों की परेशानी बढ़ सकती है। संपत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर डालने का कार्य शुरू कर दिया गया है। मंत्रियों-विधायकों की तरह त्रिस्तरीय पंचायत के प्रतिनिधि मुखिया, उप मुखिया, प्रखंड प्रमुख, उप प्रमुख व जिप के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों को संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना है। इसे लेकर चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव के पूर्व वर्तमान में विभिन्न पदों के त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना अनिवार्य है।
Input: Live Hindustan