वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट के साथ कई किवदंतियां जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि यहां जिसका भी दाह संस्कार होता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। उसकी आत्मा को जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। दुनिया में यह अकेली जगह है जहां चौबीसों घंटे चिताएं जलती रहती हैं। खुद काशी विश्वनाथ साल में एक दिन अपने गणों के साथ यहां जलती चिताओं के भस्म से होली खेलते हैं। नगर वधुएं भी साल में एक दिन यहां पूरी रात नृत्यांजलि पेश करती हैं। अपनों की मृत्यु पर शोक संतृप्त परिजन भी जब इस घाट पर आते हैं तो खुद को मोह-माया से दूर पाते हैं।
अक्सर काशीवासी भी यहां की अद्भुत लीलाओं से गाहे-बगाहे परिचित होते रहते हैं। कुछ इसी तरह का मामला बीएचयू के पूर्व एमएस डॉक्टर वीएन मिश्र के साथ हुआ है। मणिकर्णिका घाट पर उनके कैमरे से ली गई चिताओं की तस्वीरों ने कौतुहल पैदा कर दिया है। ऐसा केवल एक बार नहीं हुआ है। कई बार उनके साथ ऐसा हुआ है। ऐसी ही दो तस्वीरों को बुधवार को डाक्टर मिश्र ने ट्वीट भी किया। उन्होंने तस्वीरों के साथ लिखा कि जब भी मैंने, घाट वॉक पर मणिकर्णिका महातीर्थ के फोटो लिये तो कुछ ना कुछ अलग ही दिखा। ईश्वर ही जाने, अपनी माया। पहली फ़ोटो, पिछले वर्ष की है और दूसरी कल की।
जब भी मैंने, @ghatwalk पर, मणिकर्णिका महातीर्थ के फ़ोटो लिए, तो कुछ ना कुछ अलग ही दिखा। ईश्वर ही जाने, अपनी माया। पहली फ़ोटो, पिछले वर्ष की है और दूसरी कल की। pic.twitter.com/dWQp1m0fSV
— Vijaya Nath Mishra O+ (@DrVNMishraa) October 6, 2021
असल में डॉक्टर मिश्र ईश्वर की जिस माया का जिक्र कर रहे हैं वह जलती चिताओं से निकलते धुएं में बनती आकृतियां हैं। इस बारे में डॉक्टर मिश्र कहते हैं कि चार साल पहले हम लोगों ने घाट वॉक शुरू किया है। इस दौरान मणिकर्णिका के सामने से गुजरते हुए हर दूसरे तीसरे दिन तस्वीरें खींचता रहता हूं। हमेशा तस्वीरों में कुछ ऐसा दिखाई देता है कि मैं खुद चौंक जाता हूं। चिताओं के ऊपर अलग अलग तरह की आकृतियां दिखाई देती हैं। कुछ लोग कहते हैं कि फास्फोरस है तो कुछ लोग लाइट की चमक बताते हैं। कुछ लोग परालौकिक भी कहते हैं। सच्चाई यही है कि लोग इसके बारे में ठीक-ठीक नहीं जानते लेकिन चिताओं के ठीक ऊपर कोई चीज दिखती जरूर है।
हर जगह विज्ञान नहीं चलता
डॉक्टर मिश्र ने कहा कि हर जगह विज्ञान नहीं चलता। मैं हूं तो वैज्ञानिक, एक डॉक्टर। यह कहना सबसे आसान है कि वह लाइट की परछाई है। लेकिन यह असलियत है कि अलग अलग आकृतियां दिखती हैं। कई लोगों की इस पर थ्योरी अलग अलग है। कुछ लोग कहते हैं कि हड्डियों में फास्फोरस होता है। वह जब बाहर निकलता है तो तरह-तरह की आकृतिया बनाता है। कई लोग कहते हैं कि कार्बन मोनो ऑक्साइड और कार्बन डाई ऑक्साइड का मिक्सर नियोन की तरह चमकता है। कुछ लोग कहते हैं कि आप जब फोटो लेते हैं तो लाइट की परछाईं आती है। कुछ लोग कहते हैं कि हमने भी आकृतियां देखी हैं। लेकिन ज्यादातर लोगों ने इसका डॉक्यूमेंटेशन नहीं किया। यानी जितने मुंह उतनी बातें हैं। मेरी दो तस्वीरें ऐसी हैं जिनमें आकृतियां साफ दिखाई देती हैं। पिछले साल वाली तस्वीर में ऐसा लगता है जैसे दो लंबी भुजाएं किसी चीज को ऊपर उठा रही हैं। कल वाली तस्वीर में भी अलग तरह की आकृति साफ दिखती है। डॉक्टर मिश्र ने कहा कि मैं वैज्ञानिक नजरिये से इसे नहीं देखता। मैं लोगों से कहूंगा कि वह बताएं यह क्या है?
Input : Live hindustan