मुजफ्फरपुर (अमरेंद्र तिवारी ) : एक ऐसी बस्ती, जहां जनता हवलदार और पंच परमेश्वर हैं। कोई शिकायत या मामला थाना नहीं जाता। आपसी सहमति से मामलों का निष्पादन व निर्णय सबके लिए मान्य होता है। मुजफ्फरपुर के मोतीपुर प्रखंड में 1995 में स्थापित गांधी ग्राम कुष्ठ आश्रम आपसी समन्वय और परस्पर विश्वास की मिसाल पेश कर रहा है। यहां 57 परिवार से जुड़ी लगभग एक हजार की आबादी है। इनमें कुछ बाहर भी रहते हैं। बस्ती के बसने के बाद यहां आपसी मारपीट जैसी घटनाएं हुई हैं। जघन्य अपराध जैसी कोई वारदात नहीं हुई है। हैसियत के हिसाब से अभियुक्तों से दंड लिया जाता है। शारीरिक दंड स्वरूप सामाजिक कार्य की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
पंचों का निर्णय होता है मान्य :
बस्ती के संस्थापक सोमेश्वर दुबे कहते हैं कि बस्ती में पांच साल पर आमसभा होती है। इसमें पंच व सरपंच का चुनाव होता है। विभिन्न मामलों के निष्पादन के लिए इन्हेंं अधिकृत किया जाता है। फिलहाल इस्माइल मियां यहां के सरपंच हैं, जबकि पिंकी देवी, गुदर महतो, अशर्फी पासवान, योगी ठाकुर व महादेव पासवान पंच। सिपाही जई दास की भूमिका बैठक, सभा और मामलों की सुनवाई से ग्रामीणों को अवगत कराना है। आॢथक दंड से प्राप्त राशि का इस्तेमाल बस्ती के विकास और सामाजिक आयोजन पर खर्च किया जाता है। यह राशि सरपंच के खाते में रहती है। खर्च का ब्योरा आमसभा में रखा जाता है।
आंगनबाड़ी खुलने से हुआ फायदा :
शिक्षक की भूमिका निभाने वाले सोमेश्वर दुबे का कहना है कि बीमारी व सामाजिक उपेक्षा के कारण बस्ती की स्थापना की गई थी। हमें अपनी भावी पीढिय़ों को सुसंस्कृत करना था। बस्ती के लोगों ने अपने बच्चों को वास्तविकता से रूबरू कराया। इसमें प्रशासन और सरकारी की ओर से भी मदद मिली। सरकारी योजनाओं का लाभ मिला। आंगनबाड़ी केंद्र और नजदीक में विद्यालय खुलने से नौनिहालों की प्रारंभिक पढ़ाई शुरू हो सकी। बस्ती के बच्चे अब होटल मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग कर अच्छी जगहों पर काम कर रहे हैं।
विगत साल हुआ था नाच-गाने को लेकर विवाद :
विगत साल नाच-गाने को लेकर दो पक्षों में झगड़ा हो गया था। इसमें असलम व लालबाबू सहनी के बीच मारपीट हो गई। पत्थर लगने से लालबाबू घायल हो गए थे। पंचायत बैठी और असलम पर आरोप तय हुआ। इलाज खर्च व देखभाल के साथ ढाई सौ रुपये का जुर्माना लगाया गया।
बोले विधायक
बरुराज विधायक, डॉ. अरुण कुमार सिंह का कहना है कि यह बस्ती दूसरों के लिए प्रेरक है। यहां के लोग भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे हैं। बस्ती के लोगों से संपर्क है, उनके विकास के लिए कई योजनाएं हैं।
इनपुट : जागरण
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