मुजफ्फरपुर, सरकार के निर्देश पर राज्य में चार अक्टूबर से मूर्ति विसर्जन अधिनियम 2021 प्रभावी हो गया है। अब कोई भी पूजा समिति बूढ़ी गंडक समेत किसी भी नदी में मूर्ति का विसर्जन नहीं कर पाएगी। इसके लिए नदी किनारे आश्रम घाट पर कृत्रिम तालाब तैयार किया जा रहा है। अधिनियम का उल्लंघन करने वाली पूजा समिति को 10 हजार रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा।

नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने कहा है कि अधिनियम के प्रभावी होने से नदी की जगह कृत्रिम पोखर में मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा। आश्रम घाट में नदी किनारे कृत्रिम तालाब का निर्माण कराया जा रहा है। जल प्रदूषण नियंत्रण के लिए इसे लागू किया गया है। नगर निगम को इस अधिनियम के तहत पूजा समितियों को अलग-अलग तालाब में मूर्ति विसर्जन के लिए टैग करना है। किसी भी नदी में मूर्ति प्रवाहित करना वर्जित कर दिया गया है।

पूजा समिति का दायित्व

प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू नए अधिनियम के तहत राज्य के सभी नगर निगम को तालाब का निर्माण कराना है। मूर्तियों में उपयोग किए गए ङ्क्षसथैटिक कपड़े, आभूषण, सजावट की वस्तुएं और पूजा सामग्री के साथ फूलों को अलग करना है। पूजा समितियों को घोषणा पत्र देना है कि मूर्ति में प्लास्टर आफ पेरिस, पारा, मैग्नीशियम, आर्सेनिक, कांच, कृत्रिम रंग व क्रोमियम जैसे तत्वों का उपयोग नहीं किया गया है। विसर्जन स्थल पर प्रतिमा से अलग की गई सामग्री को जलाना भी पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।

नगर निगम की जिम्मेदारी

नगर निगम को जिम्मेदारी दी गई है कि प्रतिमा विसर्जन के बाद जमा ठोस अपशिष्ट पुआल, लकड़ी, कील व जूट जैसी सामग्री एकत्र कर कचरा प्रबंधन स्थल ले जाएगा। इसके लिए 48 घंटे का समय निगम को दिया जाएगा। नियमावली में मूर्ति विसर्जन करने वाली पूजा समिति पर शुल्क लगाने का अधिकार नगर निगम और नगर निकायों को होगा।

पानी की गुणवत्ता जांच और रिपोर्ट

मूर्ति विसर्जन वाले स्थल के पानी की गुणवत्ता की तीन बार जांच होगी। पहली बार तालाब का निर्माण कराने के बाद, दूसरी बार मूर्ति विसर्जन के दौरान और तीसरी बार विसर्जन के बाद पानी की जांच होगी। इसकी रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की वेबसाइट पर अपलोड करनी है। पानी में पीएच, बायो केमिकल आक्सीजन डिमांड, टोटल सालिड और मेटल, पारा, कांच व कंडक्टिविटी का पता लगाना है।

— बिहार में पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन प्रक्रिया नियमावली 2021 चार अक्टूबर से लागू हो गई है। नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत के साथ सभी संबंधित प्राधिकार को मूर्ति विसर्जन के लिए तालाब निर्माण, टैङ्क्षगग व कचरा प्रबंधन के दिशानिर्देश के अनुपालन का निर्देश दिया गया है। इस पर अमल किया जा रहा है। – विवेक रंजन मैत्रेय, नगर आयुक्त नगर निगम मुजफ्फरपुर

इनपुट : जागरण

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