पटनाः पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी पर दस हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है. न्यायाधीश पी बी बजन्थरी ने राम शोभित पासवान द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. कोर्ट ने जिलाधिकारी को अपने पॉकेट से दंड की राशि को बिहार स्टेट लीगल सर्विसेज़ ऑथोरिटी, पटना में जमा करने को कहा है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी ने 5 जनवरी 2021 को मुजफ्फरपुर में पदभार ग्रहण किया है. याचिकाकर्ता ने मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी द्वारा पारित आदेश को आंशिक तौर से रद्द करने को लेकर याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता की नियुक्ति दलपति के पद पर की गई थी. उसके बाद याचिकाकर्ता को पंचायत सेवक के पद पर नियुक्त किया गया था.

इस बीच पारस राय नाम के एक व्यक्ति ने याचिकाकर्ता की नियुक्ति को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इसमें यह कहा गया था कि याचिकाकर्ता की दलपति के पद पर नियुक्ति गैरकानूनी है. इसलिए पंचायत सेवक के पद पर बाद में की गई नियुक्ति भी गैरकानूनी है. याचिका में आरोप लगाया गया था कि दलपति के पद पर याचिकाकर्ता की नियुक्ति संबंधित पंचायत के कार्यकारी कमेटी द्वारा नहीं की गई थी.

आज कोर्ट के सामने उपस्थित मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं थी. जबकि जवाबी हलफनामा तैयार किये जाने के बाद वर्ष 2018 से ही जिलाधिकारी के कार्यालय में लंबित था. इसे कोर्ट में दाखिल नहीं किया जा सका था.

इसपर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जिलाधिकारी का साहस देखिए कि वे यह कह रहे हैं कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं थी. कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें जानकारी मिली है. इसके बाद 9 दिसंबर, 2021 को जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया. हालांकि याचिकाकर्ता की अधिवक्ता वागीशा प्रज्ञा ने बताया कि उन्हें अभी भी जवाबी हलफनामा की कॉपी नहीं मिली है. अब इस मामले पर आगे की सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी.

Input : Lokmat news

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