बिहार के मुजफ्फरपुर में बाढ़ का कहर शुरू हो गया है। जिले के तीन प्रखंड औराई, कटरा और मीनापुर में तबाही का आलम है। इलाके से बहने वाली बागमती नदी उफान पर है। नेपाल की तराई में हो रही लगातार बारिश से इस नदी के जलस्तर में लगातार बढोत्तरी हो रही है। दर्जनों गांवों में घरों में पानी घुस जाने से लोग बांध की ओर पलायन कर रहे हैं। तो दूसरी ओर सड़कों पर पानी चढ़ जाने या बह जाने से गांव का कनेक्शन मुख्यालय से भंग हो गया है।

औराई में घरों में पानी, बांध पर भाग रहे विस्थापित

जिले के औराई में गुरुवार को बागमती का पानी एक दर्जन गांवों में प्रवेश कर गया। इन गांवों में करीब पांच दर्जन घरों में भी पानी घुस गया है। बांध के अंदर की सड़कें व पगडंडी डूब गई है। इससे आवागमन ठप हो गया। घरों में पानी घुसने के बाद लोग बांध पर शरण ले रहे हैं। दूसरी ओर लखनदेई में भी तेजी से पानी बढ़ रहा है।

कटौझा में बागमती खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जलस्तर बढ़ने से बागमती तटबंध के अंदर विस्थापित बभनगामा पश्चिमी, हरनी, चैनपुर, राघोपुर, तरवन्ना, बाड़ा बुजुर्ग, बाड़ा खुर्द, राघोपुर, चहुंटा कश्मीरी टोला समेत एक दर्जन गांव के चोर में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है। दोनों उपधाराओं के साथ अब मुख्य धारा में भी तेज धारा बह रही है। बभनगावां पश्चिमी में 20 से 25 घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। चैनपुर में निचले इलाके में लगभग 30 से 35 घरों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है।

औराई के सीओ रामानंद सागर ने बताया कि बागमती का पानी चौर में फैल रहा है। विस्थापित गांव के निचले इलाकों में कुछ घरों में पानी घुसने की सूचना है। प्रभावित गांव के लोगों से ऊंची जगहों पर जाने की अपील की जा रही है। नाव जो उपलब्ध है वह भेजी जा रही है। मोटर वोट व एनडीआरएफ की टीम जिला से मांगी गई है। बचाव की तैयारी कर ली गई है। नाविकों को भुगतान की प्रक्रिया जारी है।

लखनदेई के बढ़ते जलस्तर ने भी बढ़ाई धड़कन

बागमती के साथ लखनदेई के जलस्तर में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। हालांकि लखनदेई का जलस्तर अभी पेट्टी में ही बह रही है। लेकिन जिस रफ्तार से नदी बढ़ रही है, इससे लोगों की धड़कने बढ़ गई है। टूटे तटबंधों तक अभी पानी नहीं पहुंचा है। विदित हो कि लखनदेई का बांध दर्जनभर जगहों पर टूटा हुआ है। कई जगहों पर मरम्मत भी हुआ है।

सीएचसी में सभी जरूरी दवाएं उपलब्ध: प्रभारी

औराई सीएचसी प्रभारी डॉ. अनुपम कुमार ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाके में एएनएम को भरपुर दवा व कीट दिया गया है, जो अपने क्षेत्र में सक्रिय रहेंगी। स्थिति पर नजर बनी हुई है। सीएचसी में सर्प दंश, सर्दी बुखार, डायरिया के साथ जल जनित बीमारियों की दवा व ब्लीचिंग पाउडर उपलब्ध है।

सरकारी नाव का नहीं हो रहा परिचालन

बांध के अंदर तमाम विस्थापित गांवों में ग्रामीण सड़कें डूब गई हैं। इसके कारण आवागमन ठप हो गया है। यहां अब नाव की सहारा है। गुरुवार को बभनगावां पश्चिमी में स्कूली छात्राएं करीब दो घंटे से नाव का इंतजार कर रही थीं, पूछने पर बताया कि सरकारी नाव नहीं चल रही है। इस कारण काफी देर तक इंतजार करना पड़ रहा है।
यासमीन, तरन्नुम ने बताया कि नाविक दिलीप चौधरी नाव चला रहे हैं, पिछले वर्ष उसका भुगतान सरकारी स्तर
पर नहीं हुआ था, इस कारण से अबत निजी नाव चला रहे हैं। स्कूल जाने व आने में दस रुपये लग जाता है।
कमोबेस यही हाल दूसरे प्रभावित गांव का भी है। इसको लेकर सरपंच के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम सीओ से
मिलकर नाव, पॉलीथिन शीट के साथ राहत की मांग की।

कटरा में 14 पंचायत के 50 गांव का मुख्यालय से कट गया सड़क संपर्क

कटरा में बागमती में उफान है। गुरुवार शाम तक तीन से चार फीट जलस्तर में वृद्धि हुई है। पानी बढ़ने से बकुची स्थित बागमती पर बने पीपा पुल के दोनों तरफ एप्रोच व मुख्य मार्ग पर पानी चढ़ गया है। इससे प्रखंड की उत्तरी 14 पंचायत के 50 गांव का संपर्क मुख्यालय से कट गया है। आधा दर्जन सड़कों पर बाढ़ का पानी बह रहा है। इससे करीब डेढ़ लाख की आबादी का सड़क संपर्क टूट गया है। प्रखंड की उत्तरी पंचायत यजुआर पूर्वी, लखनपुर, यजुआर मध्य, कटाई, यजुआर पश्चिमी, पहसौल, खंगुरा,
बेलपकौना, बंधपुरा, बर्री, तेहवारा, चंगेल, बसघट्टा, नगवारा पंचायत की दूरी कटरा प्रखंड मुख्यालय से 10 से 15 किमी है, लेकिन अब बेनीबाद-सिंहवारा के रास्ते 65 से 70 किमी की दूरी तय करनी पड़ेगी।

जान जोखिम में पीपा पुल पर आवागमन

गंगेया गांव के निकट बागमती पर बने पीपा पुल पर तेज धारा बह रही है। इससे आवागमन खतरनाक हो गया है। जान जोखिम में डालकर ग्रामीण पैदल आरपार कर रहे हैं। वहीं बकुची पीपा पुल से लेकर बकुची चौक तक जगह-जगह मुख्य मार्ग पर बाढ़ का पानी बह रहा है। वाहनों का परिचालन पूर्ण रूप से ठप हो गया है। बसघट्टा-पहसौल-यजुआर मुख्य मार्ग में बसघटा गांव से आगे बने डायवर्सन पर करीब ढाई से तीन फीट पानी चढ़ जाने के बाद इस इलाके के लोग लंबी दूरी तय कर डुमरी-पहसौल के रास्ते आने जाने को मजबूर है। वहीं बर्री-तेहवारा, कटरा-माधोपुर मुख्य मार्ग पर पानी चढ़ने से आवागमन ठप हो गया है।

दो सौ एकड़ से अधिक सब्जी की खेती बर्बाद

बाढ़ का पानी बढ़ने के साथ ही बागमती तटबंध के भीतर के गांव मोहनपुर, बकुची, अंदामा, पत्तारी, नवादा, बर्री, भवानीपुर, गंगेया, माधोपुर आदि गांव के साथ ही बांध के बाहर के कटरा, सोनपुर, धनौर के खेतों में भी पानी प्रवेश करने लगा है। मूंग की फसल के साथ ही करीब दो सौ एकड़ में लगी सब्जी की फसल डूब गई है। बकुची के किसान मो. इदरीस, श्याम महतो, जोगेन्द्र महतो, धर्मेन्द्र कमती राम शकल भगत, सहदेव भगत, अशोक साह की माने तो पानी बढ़ने से खेतों में लगी सब्जी की फसल डूबने से बर्बाद हो गई है।

बकुची चौक पर चढ़ा पानी, दुकानें होने लगी खाली

बकुची चौक पर पानी चढ़ने के बाद दुकानदार बाढ़ की त्रासदी को लेकर दहशत में हैं। दुकानदार भगलु साह, विनोद साह, पप्पू भगत आदि ने बताया कि अधिक पानी आने की आशंका को देखते हुए दुकान में रखे सामान को खाली कर रहे हैं। दुकानदारों ने बताया कि पिछले बर्ष अचानक आयी बाढ़ का पानी दुकानों में घुस गया था जिससे काफी सामान दुकान में ही डूब गया था। वहीं सीओ पारसनाथ राय ने बताया कि निचले इलाको में पानी घुसा है। जरूरत के अनुसार नाव की व्यवस्था की
जा रही है।

मीनापुर में बूढ़ी गंडक के जलस्तर में वृद्धि से सहमे ग्रामीण

जिले के मीनापुर में बूढ़ी गंडक के किनारे बसे बाड़ाभारती, हरशेर, घोसौत और रघई के लोग दहशत में है। बारिश के साथ बूढ़ी गंडक के जलस्तर में वृद्धि व कटाव के खतरे से लोग सहमे हुए हैं। हरशेर के पैक्स अध्यक्ष सकलदेव प्रसाद ने बताया कि पंचायत के वार्ड आठ, 12, 14 और 16 में कटाव का खतरा
मंडराने लगा है। वार्ड सदस्य विकास सहनी ने बताया कि शंकर राम, रामप्रीत राम, रामनंदन सहनी, लालदेव सहनी और रामरत्न सहनी का घर कटाव की जद में आ गया है। गंगवार गांव के वार्ड आठ के चिंताहरण पासवान ने बताया कि बाढ़ का पानी सबसे पहले इसी गांव को प्रभावित करता है। गांव में आवागमन के लिए विधायक योजना से जो मिट्टी डाली गई थी, वह बारिश के तेज बहाव के साथ बह गई है।

हरशेर पंचायत के वार्ड 16 के अशोक दास ने बताया कि कटाव की रोकथाम के लिए मिट्टी भरकर बैग तैयार कर लिया गया है। रघई के मुखिया संत कुमार ने बताया कि जलस्तर में एक फीट की बढ़ोतरी हो गई तो स्थिति बिगड़ जाएगी। लोगों में दहशत है। मुखिया ने अंचल प्रशासन को पत्र लिख कर मदद की गुहार लगाई है। दूसरी ओर अंचलाधिकारी रामजपी पासवान ने बताया कि बूढ़ी गंडक के किनारे बसे लोगों की सुरक्षा के लिए आपदा विभाग को पत्र लिख कर अलर्ट कर दिया गया है। फिलहाल प्रशासन पूरे स्थिति पर नजर रख रही है।

Input : live hindustan

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