मुजफ्फरपुर : बिहार के खस्ताहाल स्वास्थ्य प्रणाली की एक बार फिर पोल खुल गई है। मुजफ्फरपुर जिले के सदर अस्पताल परिसर में एक महिला प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी और वहां पर तैनात स्वास्थ्यकर्मी महिला की जांच रिपोर्ट मांगने पर अड़े थे। आखिर में महिला ने ऑटो में ही बच्चे को जन्म दे दिया। इसके बाद महिला के स्वजनों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया।
जानकारी के मुताबिक, सादपुरा की रहने वाली रूखसार प्रसव पीड़ा से तड़प रही थीं। उनके स्वजन उन्हें ऑटो से अस्पताल लेकर पहुंचे। ऑटो जब मातृ-शिशु अस्पताल परिसर पहुंचा तो वहां महिला को लेबर रूम में ले जाने की बजाय तैनात स्वास्थ्यकर्मी ने कहा कि पहले जांच रिपोर्ट दीजिए। ब्लड ग्रुप की रिपोर्ट दीजिए। इस दौरान महिला ने ऑटो में ही बच्चे को जन्म दे दिया। इसके बाद वहां पर तैनात महिला सुरक्षाकर्मी चिकित्सक की तलाश करने में जुट गई।
रूखसार के परिवारवालों की नाराजगी को देखते हुए वहां पर तैनात महिला स्वास्थ्य कर्मी बाहर आई। बच्चे का प्रारंभिक इलाज शुरू किया। इसके बाद ट्राली मैन महिला को लेबर रूम में लेकर गया। रूखसार के स्वजन ने कहा कि पीड़ा होने पर सीधे अस्पताल लेकर आए।
घटना की जानकारी मिलने के बाद सिविल सर्जन डॉ.यूसी शर्मा सदर अस्पताल पहुंचे और महिला के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। साथ ही वहां मौजूद स्टाफ को हिदायत भी दी कि मरीज का सबसे पहले इलाज होना चाहिए। उसके बाद सारे कागजात की जांच होनी चाहिए। सीएस ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लाने व उसके बाद पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस मिलना चाहिए। वे यहां की सुविधाओं की पड़ताल करेंगे।
बच्चे के इलाज के लिए यहां-वहां घूमते रहे पिता
बता दें कि सदर अस्पताल में इलाज की व्यवस्था नहीं सुधर रही है। बुधवार को मनियारी से सुबोध साह अपने पुत्र को लेकर पहुंचे। ढाई साल का बच्चा झुलस गया था। वे पहले इमरजेंसी और उसके बाद सीधे मातृ-शिशु सदन पहुंचे, लेकिन उनकी बात सुनने को कोई तैयार नहीं था। बताया गया कि यहां पर इलाज नहीं है।
सदर अस्पताल परिसर में तैनात एक सुरक्षाकर्मी ने उसको मातृ-शिशु अस्पताल में बेहतर इलाज की बात कह कर पहुंचाया। वहां पर तैनात कर्मियों ने उसको बाहर का रास्ता दिखा दिया। उसके बाद स्वजन वहां से निकल लिए। इसकी शिकायत सिविल सर्जन डा.यूसी शर्मा तक पहुंची। उन्होंने प्रबंधक से जवाब तलब किया है। बताया कि मातृ-शिशु अस्पताल में इलाज की सारी सुविधा है। यहां पर आने वाले मरीज का प्रारंभिक इलाज होना चाहिए। यहां पर अब सर्जन भी हैं। इसलिए बिना इलाज मरीज को बाहर का रास्ता दिखाना ठीक नहीं है।
इनपुट : दैनिक जागरण
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