मुंगेर में 13 साल पहले आर्म्स एक्ट में आरोपी बनाए गए 4 शख्स बेगुनाह साबित हुए हैं. कोर्ट ने माना है कि पुलिस ने बेकसूर व्यक्तियों को आरोपी बनाकर न्यायालय का समय बर्बाद किया. इसलिए बेगुनाहों को दिए जाने वाले हर्जाने की वसूली पुलिसकर्मियों से की जाएगी. कोर्ट ने एसपी को ऐसा करने का आदेश दिया है. फिलहाल जुर्माने का भुगतान राज कोष से किया जाएगा. चारों पीड़ितों को पांच-पांच हजार रुपए की राशि का भुगतान एक महीने के अंदर होगा.

बता दें कि रामनगर थाने का यह आर्म्स एक्ट केस 2009 का है. न्यायालय ने उपलब्ध साक्ष्य देखने और अभियोजन एवं बचाव पक्ष की दलील सुनने के बाद पाया कि पुलिस ने बेवजह चारों को आरोपी बनाया. पुलिस की लापरवाही के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा और 13 साल तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. अभियोजन पक्ष से एपीपी योगेन्द्र मंडल ने बहस में भाग लिया.

नाबालिग की निशानदेही पर हुई थी 4 गिरफ्तारी

रामनगर के तत्कालीन थानाध्यक्ष मनोज कुमार महतो ने गुप्त सूचना के आधार पर 4 नवंबर 2009 को मिर्जापुर बरदह एवं फृलहट पाटम में छापेमारी की थी. यहां से उन्होंने नाबालिग अमित कुमार को हथियार के साथ हिरासत में लिया था. इसके बाद पुलिस ने निशानदेही पर मिर्जापुर बरदह गांव के माशी उर्फ शमीम, नसिया उर्फ नौशाद, फुलहट पाटम के कैलाश यादव और निवास कुमार को गिरफ्तार किया था. 13 साल चली सुनवाई के बाद सभी बेगुनाह साबित हुए हैं.

इनसे होगी मुआवजे की वसूली

मुआवजे की वसूली नया रामनगर थाना के तत्कालीन थाना अध्यक्ष मनोज कुमार महतो ( केस के सूचक) और राम नगीना राम ( केस के अनुसंधानकर्ता) से की जाएगी. मुंगेर के पुलिस अधीक्षक दोनों से ही दस -दस हजार रुपए की वसूली करेंगे.

इनपुट : आज तक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *