नवरात्र के सातवें दिन शुक्रवार को विधि विधान से जगदंबा के कालरात्रि स्वरूप का लोगों ने दर्शन पूजन किया। कुछ लोगों में इस बार अष्टमी, नवमी व दशमी तिथि को लेकर संशय की स्थिति है लेकिन, इसके लिए भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। बताते चलें कि वाराणसी पंचांग के अनुसार सप्तमी तिथि शुक्रवार को दिन में 12 बजकर 8 मिनट तक थी। उसके बाद अष्टमी तिथि भोग कर रही है जो अगले दिन शनिवार को 11 बजकर 27 मिनट तक है। इस बाबत पंडित चंचल मिश्र का कहना है कि नवरात्रि में सूर्य ग्राह्य के अनुसार तिथि का मान होता है। इस कारण अष्टमी तिथि 24 तारीख दिन शनिवार को है। हालांकि, अष्टमी तिथि की दोपहर में ही नवमी आ रही है, जो अगले दिन रविवार को 11 बजकर 14 मिनट तक रह रही है।
इस कारण नवमी को होने वाला हवन पूजन कार्य रविवार को ही होगा। परंतु, जो भक्त केवल महानवमी (रविवार) को व्रत रखना चाहेंगे उनके लिए पारण करना अगले दिन सोमवार को उचित रहेगा। वहीं, शास्त्रों के अनुसार असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक (विजयादशमी) रावण वध (इस साल कोरोना के कारण प्रतिकात्मक) दशमी की गोधूलि बेला में करने का नियम है। इस कारण 25 तारीख को ही विजयादशमी महोत्सव का पर्व मनाया जाएगा। प्रतिमा विसर्जन को लेकर मतभेद
इस बार करोना संक्रमण को देखते हुए पंडालों में कलश व मूर्ति पूजा पर व्यावहारिक रोक लगाई गई है। इसके तहत मूर्ति व पंडालों को भव्य रूप देने तथा सड़कों पर सजावट किए जाने की मनाही है। वहीं, कलश स्थापना किए जाने पर रविवार (25 तारीख) को ही विसर्जन कर लेने को कहा गया है। हालांकि, इस बात को लेकर समितियों में कुछ मतभेद के स्वर सुनने को मिल रहे हैं। इस बाबत पूजा समितियों के कार्यकर्ताओं का कहना है कि रविवार व मंगलवार को मां की विदाई नहीं होती है। इस कारण रविवार की जगह सोमवार की सुबह में ही विसर्जन संबंधित कार्य किए जाएंगे।
इनपुट : जागरण
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