पटना. चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच अब भी जंग जारी है. पार्टी पर किसका अधिकार है यह मामला अब चुनाव आयोग के पास है. आयोग का फैसला पर बिहार की सियासत के लिए काफी दिलचस्प रहेगा. राजद नेता तेजस्वी यादव ने चिराग को ऑफर देकर इसे काफी रोचक बना दिया है.

हालांकि इन सबमें सबकी नजर तेजस्वी के ऑफर पर टिकी है कि आखिर चिराग पासवान इसपर क्या फैसला लेते हैं.

चिराग-तेजस्वी की जोड़ी बदल देगी बिहार की सियासत

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि इसकी पीछे जमीनी स्तर की वह राजनीति है जिसमें पशुपति कुमार पारस भले ही अपने जनाधार का दावा करते हैं, लेकिन वास्तविक समर्थन चिराग पासवान के पक्ष में नजर आता है. इसका कनेक्शन वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव से भी जुड़ता है. हम आंकड़ो की अगर बात करें तो 2020 विधानसभा चुनाव में चिराग ने जीत और हार के अंतर को कम कर दिया था.

एनडीए के खाते में 1 करोड़ 57 लाख, 01 हजार 226 वोट पड़े थे जबकि महागठबंधन के खाते में 1 करोड़ 56 लाख 88 हजार 458 वोट पड़े. अगर इसे प्रतिशत के लिहाज से देखें तो एनडीए को 37.26% वोट मिले जबकि महागठबंधन को 37.23 % वोट मिले. महागठबंधन और एनडीए की जीत में फैसला केवल लगभग 12000 वोट का था. इधर, चिराग ने अपने दम पर लोजपा को लगभग 26 लाख वोट दिलाया था. यह कुल वोट प्रतिशत का 6 प्रतिशत होता है जो बिहार की सियासत में सत्ता समीकरण को उलट-पलट करने के लिए काफी है.

नए समीकरण बनाने में जूटा राजद

दरअसल, लोजपा में टूट के बाद बिहार में अब नए समीकरण बनाने की तैयारी चल रही है. लालू प्रसाद इसे अपने माई समीकरण की तर्ज पर माई + पी (मुस्लिम + यादव + पासवान) बनाने की है. महागठबंधन अपने इस नए समीकरण से एनडीए के उस गणित करारा जवाब देना चाहते हैं जिसको लेकर लोजपा में टूट हुई और एनडीए उत्साहित है. महागठबंधन अगर यह गेम बदलने में सफल हो गई तो एनडीए का पूरा गेम प्लान बदल जाएगा. क्योंकि राजद और मुसलमान महागठबंधन के साथ हैं.

बिहार में यादवों का 16 % वोट राजद की परंपरागत वोट है. इसमें किसी ने अभी तक सेंघमारी नहीं कर पाया है. वहीं, मुसलमान राजद और कांग्रेस को छोड़कर दूसरे को बहुत कम ही वोट देते हैं. बिहार में मुसलमान 17 प्रतिशत वोट हैं. यदि, चिराग पासवान का 6 प्रतिशत वोट इस में मिल जाता है तो अगले चुनाव में महागठबंधन अपनी सरकार बनाने की स्थिति में होगी. सभी पार्टियों का वोट प्रतिशत मिला लिया जाए तो 16+17+6= 39 फीसदी वोट हो जाते हैं. वहीं, लेफ्ट और कांग्रेस के अलग कैडर हैं, जो हर हाल में कांग्रेस और लेफ्ट को ही वोट देते हैं. ऐसे में चिराग ने यदि पलटी मारी तो एनडीएका पूरा समीकरण ध्वस्त हो जाएगा.

इनपुट : प्रभात खबर

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