1 0
Read Time:5 Minute, 37 Second

उच्चतम न्यायालय ने गंभीर डिमेंशिया से पीड़ित 89 वर्षीया वयोवृद्ध महिला की संपत्ति में उसके बेटे को किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने से रोकते हुए कहा, ‘आपकी दिलचस्पी उनकी संपत्ति में अधिक नजर आती है। यह हमारे देश में वरिष्ठ नागरिकों की त्रासदी है। डिमेंशिया बीमारी से पीड़िता महिला को मौखिक या शारीरिक संकेतों की समझ नहीं है।

मनोभ्रंश से पीड़ित महिला से अंगूठा लगवाने पर कोर्ट गंभीर

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने इस तथ्य पर गंभीरता से गौर किया कि बेटा कथित तौर पर अपनी मां की दो करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति बेचने के लिए उसे बिहार के मोतिहारी में एक रजिस्ट्रार के कार्यालय में अंगूठे का निशान लेने के लिए ले गया। हालांकि, महिला चलने-फिरने में पूरी तरह से अक्षम है। पीठ ने 13 मई को बहनों द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘ऐसा लगता है कि आप उसकी संपत्ति में अधिक रुचि रखते हैं। यह हमारे देश में वरिष्ठ नागरिकों की त्रासदी है। आप उसे मोतिहारी में रजिस्ट्रार के कार्यालय में उसके अंगूठे का निशान लेने के लिए ले गए, इस तथ्य के बावजूद कि वह गंभीर रूप से मनोभ्रंश से पीड़ित हैं और कुछ भी बता नहीं सकती हैं।

दो साल पहले तक देखभाल कर चुकीं बेटियों को मिलने नहीं देता बेटा

वैदेही सिंह (89 वर्षीय महिला) की याचिकाकर्ता बेटियों- पुष्पा तिवारी और गायत्री कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रिया हिंगोरानी और अधिवक्ता मनीष कुमार सरन ने अदालत को बताया कि उन्होंने 2019 तक उनकी देखभाल की और अब वे फिर से उनकी देखभाल करने और डॉक्टरों की सलाह के अनुसार अपनी मां को अस्पताल ले जाने या घरेलू देखभाल करने के लिए तैयार हैं। हिंगोरानी ने दावा किया कि अन्य भाई-बहनों को अपनी मां से मिलने की अनुमति नहीं है, जो उनके सबसे बड़े भाई के पास हैं और एक बार उन्हें मिलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन वह भी पुलिस की मौजूदगी में और उस समय किसी प्रकार की कोई निजता नहीं थी।

घर का आकार नहीं आपके दिल का आकार मायने रखता है : कोर्ट

पीठ ने कहा कि पांचवें प्रतिवादी (कृष्ण कुमार सिंह, ज्येष्ठ पुत्र और वर्तमान में मां को अपने पास रखने वाले) के वकील याचिकाकर्ताओं के वकील द्वारा रखे गए प्रस्ताव पर निर्देश लेंगे, ताकि विरोधी पक्षों को सुनने के बाद प्रस्ताव पर आदेश पारित किया जा सके। कृष्ण कुमार सिंह के वकील ने कहा कि नोएडा में उनकी बहन के पास सिर्फ दो कमरों का फ्लैट है और जगह की कमी होगी। इस पर पीठ ने कहा, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका घर कितना बड़ा है, बल्कि मायने यह रखता है कि आपका दिल कितना बड़ा है। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘दुर्भाग्य से कार्यवाही के दौरान यह सामने आया है कि मां की गंभीर शारीरिक और मानसिक स्थिति के बावजूद पांचवां प्रतिवादी मां की संपत्ति का सौदा करने के लिए बिक्री विलेखों के निष्पादन में उनकी उपस्थिति दिखाने के लिए उन्हें साथ ले गया।

मुजफ्फरपुर में रह रही महिला की पेशी पर आज सुनवाई जारी

पीठ ने निर्देश दिया, ‘अगले आदेशों तक, वैदेही सिंह की किसी भी चल या अचल संपत्ति के संबंध में कोई और लेनदेन नहीं होगा। पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 17 मई को सूचीबद्ध किया। वैदेही सिंह के चार बेटे और दो बेटियां हैं। शीर्ष अदालत ने 14 मार्च को सरन के माध्यम से बहनों द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी, जिसमें उनकी मां को अदालत में पेश करने की मांग की गई थी। इससे पहले 28 मार्च को सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका एम. जॉन ने कहा था कि पक्षकारों की मां दिल्ली के गंगा राम अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद अपने सबसे बड़े बेटे के साथ बिहार के मुजफ्फरपुर में रह रही हैं।

Input : live hindustan

Advertisment

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d