प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम को संबोधित किया. पीएम मोदी हर महीने के अंतिम रविवार को राष्ट्र को संबोधित करते हैं। उनका यह कार्यक्रम आकाशवाणी और दूरदर्शन के सभी नेटवर्क पर प्रसारित किया गया। इस दौरान उन्होंने आत्मनिर्भर भारत को बल देनें के लिए लिए देशवासियों से लोकल खिलौने के उपयोग से लेकर बनाने तक पर बल देने की अपील की. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पर्व और पर्यावरण के बीच बहुत गहरा नाता रहा है. आम तौर पर ये समय उत्सव का है. जगह-जगह मेले लगते हैं, धार्मिक पूजा-पाठ होते हैं. कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग और उत्साह तो है ही, मन को छू लेने वाला अनुशासन भी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, लोग अपना ध्यान रखते हुए, दूसरों का ध्यान रखते हुए, अपने रोजमर्रा के काम भी कर रहे हैं. देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है. गणेशोत्सव भी कहीं ऑनलाइन मनाया जा रहा है, तो ज्यादातर जगहों पर इस बार इकोफ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है.
प्रधानमंत्री ने कहा, मैं मन की बात सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा मांगता हूं क्योंकि हो सकता है, उन्हें अब ये मन की बात कार्यक्रम सुनने के बाद खिलौनों की नई-नई मांग सुनने को मिले. खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं तो वहीं खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं. खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं. हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है. कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं. भारत के कुछ क्षेत्र टॉय क्लस्टर यानी खिलौनों के केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि वैश्विक टॉय इंडस्ट्री 7 लाख करोड़ से भी अधिक की है. कारोबार इतना बड़ा है, लेकिन भारत का हिस्सा उसमें बहुत कम है. जिस राष्ट्र के पास इतनी बड़ी विरासत हो, परंपरा हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी चाहिए. लोकल खिलौनों के लिए हमें वोकल बनना होगा.
पीएम ने कहा कि वर्ष 2022 में हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा. स्वतंत्रता के पहले अनेक वर्षों तक देश में आजादी का जन्म उसका एक लंबा इतिहास रहा है. यह बहुत आवश्यक है कि हमारी आज की पीढ़ी आजादी की जंग और हमारे देश के नायकों से परिचित रहे, उसे उतना ही महसूस करे. अपने जिले और क्षेत्र में आजादी के आंदोलन के समय क्या हुआ, कौन शहीद हुआ, कौन कितने समय तक जेल में रहा. यह बातें हमारे विद्यार्थी जानेंगे तो उनके व्यक्तित्व में भी इसका प्रभाव दिखेगा. इसके लिए बहुत से काम किए जा सकते हैं, जिसमें हमारे शिक्षकों का बड़ा दायित्व है. जो देश के लिए खप गए, ऐसे महान व्यक्तित्वों को अगर हम सामने लाएंगे तो उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी. जब हम 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मना रहे होंगे, तब मैं मेरे शिक्षक साथियों से जरूर आग्रह करूंगा कि वे इसके लिए एक माहौल बनाएं सब को जोड़ें और सब मिल करके जुट जाएं.
प्रधानमंत्री की अपील
पिछली बार के मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा था कि मैं आप से आग्रह करूंगा जब भी आपको मास्क के कारण परेशानी महसूस होती हो, मन करता हो उतार देना है तो पल-भर के लिए उन डॉक्टरों का का स्मरण कीजिये, उन नर्सों का स्मरण कीजिये, हमारे उन कोरोना वारियर्स का स्मरण कीजिये। आप देखिये वो मास्क पहनकर के घंटो तक लगातार, हम सबके जीवन को, बचाने के लिए जुटे रहते हैं।