पटना: बिहार में बीजेपी (BJP) के परंपरागत वोटर रहे भूमिहार आखिर आरजेडी (RJD) की तरफ क्यों जा रहे हैं? यह आज कल बिहार के सियासी गलियारों में बड़ा सवाल बना हुआ है. ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार में साल 2022 में हुए एमएलसी चुनाव (MLC Election 2022) और बोचहां विधानसभा उपचुनाव के नतीजों ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. दरअसल, बिहार में करीब छह फीसदी भूमिहार वोटर हैं, जो बीजेपी के कोर वोटर माने जाते हैं.

आरजेडी के तीन भूमिहार कैंडिडेट रहे विजयी

हालांकि, हाल ही में हुए एमएलसी चुनाव में आरजेडी के तीन भूमिहार कैंडिडेट विजयी रहे. जबकि इस बार एमएलसी चुनाव में बीजेपी (BJP) ने भूमिहार समुदाय से आने वाले छपरा से अपने सिटिंग एमएलसी सच्चिदानंद राय (Sacchidanand Rai) का टिकट काटा था. लेकिन वे बीजेपी उम्मीदवार को हराकर निर्दलीय चुनाव जीत गए. भूमिहार बहुल वाले बोचहां विधानसभा में हुए उपचुनाव में आरजेडी के अमर पासवान (Amar Paswan) ने बीजेपी को 36 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. ऐसे में कहीं न कहीं भूमिहार समाज आरजेडी की तरफ जाता दिख रहा है.

भूमिहारों ने लालू के खिलाफ लड़ी थी लड़ाई

ध्यान देने वाली बात है कि तेजस्वी अपनी पार्टी को ए टू जेड वाली पार्टी बनाना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने भूमिहार समेत सवर्ण समुदाय को अपने तरफ करना शुरू कर दिया है. जबकि साल 1990 में सत्ता में आने के बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव (Lalu Yadav) ने भूमिहार विरोध की धुरी पर आगे बढ़ते हुए अपनी सियासत को चमकाया था. भूमिहारों ने ही लालू के खिलाफ सबसे उग्र लड़ाई लड़ी थी. 2015 में भूमिहार समाज से आने वाले बाहुबली नेता अनंत सिंह (Anant Singh) पर बाढ़ में विनय उर्फ पुटुस यादव की हत्या करवाने का आरोप लगा था.

ऐसे में साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान लालू यादव ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर इतना दबाव बना दिया कि चुनाव से पहले अनंत सिंह को अरेस्ट करवाकर पटना के बेऊर जेल में बंद करना पड़ा था. इसके बाद लालू यादव कई मंचों से कहते सुने गए थे कि भूमिहार अगर यादव को परेशान करेगा तो वह उसका अनंत सिंह जैसा हाल कर देंगे. लेकिन आज यही भूमिहार समाज आरजेडी के साथ लामबंद हो रहा है. दबंग विधायक अनंत सिंह भी अब आरजेडी में हैं. साल 2020 के चुनाव में उन्हें टिकट दिया गया था.

बीजेपी ने की भूमिहारों की अनदेखी!

इधर, बिहार एनडीए में सबसे बड़े दल बीजेपी के संगठन और सरकार दोनों में भूमिहार समाज को उचित जिम्मेदारी नहीं दी गई है. राज्य के दोनों उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष सवर्ण नहीं हैं. बिहार सरकार में बीजेपी कोटे के मंत्रियों की बात करें तो भूमिहार समाज का एक भी मंत्री ऐसा नहीं है, जिसके पास भारी भरकम मंत्रालय हो. भूमिहारों को बिहार के मंत्रिमंडल में बीजेपी ने सांकेतिक प्रतिनिधित्व ही दिया. इसकी खानापूर्ति युवा नेता जीवेश मिश्रा (Jivesh Mishra) को मंत्री बनाकर की गई है.

बिहार में 2020 में सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने ये जता दिया था कि उसे अब नए समीकरणों की दरकार है. बीजेपी के नेताओं द्वारा बयानबाजी भी होती थी की भूमिहार समेत सवर्ण समाज हमेशा बीजेपी के साथ ही रहेगा. ये जाएंगे तो जाएंगे कहां? कहीं न कहीं बीजेपी के ओवर कॉन्फिडेंस एवं गलत नीतियों के कारण भूमिहार बीजेपी से दूर होता जा रहा है.

बीजेपी प्रवक्ता ने किया ये दावा

भूमिहार समुदाय से आने वाले बिहार बीजेपी के प्रवक्ता डॉ. राम सागर सिंह ने कहा की एमएलसी चुनाव में आरजेडी के तीन भूमिहार जीते. भूमिहार बहुल वाले बोचहां में आरजेडी जीत गई. लेकिन आरजेडी ये भ्रम न पालें की भूमिहार समुदाय उसके साथ हो गया है. आरजेडी के शासनकाल में सेनारी से लेकर कई नरसंहार हुए, जिसमें भूमिहार समाज के लोगों की हत्या हुई. लालू राज में भूमिहारों पर जुल्म हुए. यह सब भूमिहार समाज कभी नहीं भूल सकता.

बीजेपी नेता ने कहा, ” एमएलसी चुनाव में आरजेडी ने 10 यादवों को टिकट दिया जिसमें 9 हार गए. आरजेडी यादव-मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट नहीं रख पा रही लेकिन भूमिहार समाज को साधने का सपना देख रही. बोचहां में आरजेडी के अमर पासवान की जीत इसलिए हुई क्योंकि उनके पिता के निधन के कारण उपचुनाव हुआ. जनता की सहानुभूति के कारण आरजेडी जीती.”

जातीय मानसिकता की पार्टी है आरजेडी

भूमिहार समाज से आने वाले जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता एवं एमएलसी नीरज कुमार ने कहा की आरजेडी जातीय मानसिकता की पार्टी है. शुरू से जात पात की सियासत करती रही है. लेकिन सवर्ण समाज कभी आरजेडी के साथ नहीं हो सकता. तेजस्वी यादव को अपने पिता लालू यादव का सवर्णों को लेकर दिया बयान याद रखना चाहिए. लालू ने कहा था, ” भूरा बाल साफ करो, तबला बजेगा धिन-धिन तब एक पर बैठेगा तीन-तीन. हाथी पड़े पांकी में, सियार मारे हुचुकी.” यह सब बयान देकर लालू ने सवर्णों का मजाक उड़ाया था. भूमिहार समुदाय यह सब भुला नहीं है. अगर आरजेडी को लग रहा है कि यह समुदाय उसके साथ हो गया है. तो यह उसकी गलतफहमी है.

इधर, ब्राह्मण समुदाय (सवर्ण जाति) से आने वाले आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि एमएलसी चुनाव में आरजेडी से तीन भूमिहार उम्मीदवारों की जीत हुई. बोचहां में भूमिहार समेत सभी सवर्णों का वोट आरजेडी को मिला. आरजेडी अब ए टू जेड की पार्टी हो गई. बिहार में तेजस्वी मॉडल चलेगा. तेजस्वी को हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है. भूमिहार समेत सवर्ण समाज को बीजेपी बंधुआ मजदूर समझती थी. वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती थी. इस समाज ने बीजेपी को सबक सिखा दिया.

Source : abp news

188 thoughts on “Bihar Politics : सवर्णों को भा रहा ‘तेजस्वी मॉडल’, जाने लालू के धूर विरोधी भूमिहार वोटर क्यों दे रहे Rjd का साथ”
  1. In the United States, flu season is generally from November through April.
    An internet store has cialis daily use since it’s a successful treatment
    Genital herpes symptoms are considered serious and should be diagnosed and treated professionally.

  2. Many factors may contribute to the onset of depression, including genetic characteristics, changes in hormone levels, certain medical illnesses, stress, grief, or substance abuse.
    Fast delivery of kroger online pharmacy from leading pharmacies
    She has never had high blood pressure or cholestoral levels.

  3. Maybe you feel achy and fatigued.
    ED gone with our newest product at https://cilisfastmed.com/ is cialis better than viagra is by using online pharmacies
    Dengue fever classically is accompanied by a headache, retro-orbital pain, prominent muscle aches, and adenopathy.

  4. Oral dissolution therapy uses bile acids in pill form to dissolve gallstones, and may be used in conjunction with lithotripsy, although both techniques are rarely used today.
    You can get lower rates when you https://ivermectinfastmed.com/ ivermectin lotion solutions for your health with online ordering.
    Although screening tests can help save lives, they can be costly and sometimes have psychologic or physical repercussions.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *