मुजफ्फरपुर : NCRB-2022 की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। देश में जहरीली शराब से सबसे अधिक 134 लोगों की मौत बिहार में हुई। इस रिपोर्ट से नीतीश कुमार के सुशासन के दावों की पोल खुल चुकी है। इस बारे में जब जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शराबबंदी से ज्यादा नुकसानदेह कुछ नहीं हो सकता है। सामाजिक और राजनीतिक जीवन में मैं बिहार में इकलौता आदमी हूं, जो कि हर दिन कहता है कि शराबबंदी गलत है और इसे हटाना चाहिए। इसका कोई वैधानिक, सामाजिक और न ही आर्थिक आधार है। शराबबंदी जो बिहार में लागू हुई है इसका तीन पहलू से मैं विरोध कर रहा हूं। दुनिया में किसी देश में ऐसा प्रमाण नहीं है कि शराबबंदी की वजह से किसी भी समाज का सामाजिक और आर्थिक विकास हुआ है।अगर शराबबंदी से ही लोगों का उत्थान होना होता तो अब तक हमारा हो गया होता। आप सबसे पिछड़े हैं, लेकिन खुद को सबसे ज्यादा होशियार समझते हैं। भारत में ही दूसरे राज्यों ने ही क्यों नहीं इसे लागू कर दिया? एक तर्क नीतीश कुमार और उनके चमचे देते हैं कि गांधी जी ने ऐसा कहा और इसलिए ऐसा हमने किया, ये सरासर झूठ है। मैं कैमरे पर डेढ़ साल से चुनौती दे रहा हूं कि नीतीश कुमार महात्मा गांधी को अगर समझते हैं या जीवन में पढ़े हैं, तो अपनी पूरी सरकार का तंत्र लगाकर मुझे वो एक लाइन दिखा दें कि जहां गांधी जी ने ये कहा हो कि सरकार को कानून बनाकर शराबबंदी करनी चाहिए।
आधा ज्ञान बहुत खतरनाक होता है और नीतीश कुमार हैं आधे ज्ञान वाले व्यक्ती
दरभंगा के बिरौल प्रखंड में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि गांधी जी ने कभी इसकी चर्चा नहीं की, उन्होंने शराबबंदी को सामाजिक प्रयास के तौर पर बताया कि शराब पीना गलत बात है और लोगों को शराब नहीं पीनी चाहिए। ये तो वही बात हो गई कि गांधी जी ने कहा कि लोगों को शाकाहारी होना चाहिए और सरकार कानून बना दे कि जो शाकाहारी नहीं है उसे जेल में डाल देंगे। आधा ज्ञान बहुत खतरनाक होता है और नीतीश कुमार वो आधे ज्ञान वाले व्यक्ति हैं। बिहार में इतने मूर्ख नेता हैं कि उसमें कम पढ़ा-लिखा आदमी को भी ये लगता है कि उससे पढ़ा-लिखा आदमी कोई नहीं है। नीतीश कुमार को भी ये भ्रम हो गया है कि हमसे ज्यादी ज्ञानी कोई नहीं है। नीतीश कुमार पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं इसमें कोई दो राय नहीं है, बहुत होशियार और समझदार आदमी हैं। लेकिन वह बिहार के एकमात्र पढ़े-लिखे आदमी नहीं हैं, उनसे बहुत ज्यादा पढ़ा-लिखा आदमी भी इसी धरती पर हजारों की संख्या में है।
नीतीश कुमार के अहंकार ने ही कर दिया बर्बाद
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार 18 सालों से राज्य चला रहे हैं और देश में सबसे पिछड़े हैं और खड़े होकर कहते हैं कि हमने तो बहुत ही अच्छा काम कर दिया। अगर आपने सच में अच्छा काम कर दिया है, तो आप केरल, तमिलनाडु हो जाते, इन राज्यों को छोड़िए राजस्थान या यूपी के बराबर हो जाते। विकास के पैमाने पर आप एक पायदान 28 से 27 नहीं हुए और अपनी पीठ ठोंके जा रहे हैं। नीतीश कुमार को जो अहंकार है, इसने ही तो नीतीश कुमार को बर्बाद कर दिया। नीतीश कुमार की बर्बादी का ये कारण है कि उस आदमी को ये एहसास है कि मुझे सब मालूम है और मुझे जनता हटा नहीं सकती है। जनता किसी को भी वोट देगी, कुर्सी पर तो मैं ही बैठूंगा। इसी सोच ने नीतीश कुमार का डाऊनफॉल शुरू कर दिया। यही वजह है कि 2005 के नीतीश कुमार और आज के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क है।
बिहार में शराबबंदी के नाम पर तो सिर्फ दुकाने हैं बंद, चल रही है होम डिलीवरी
प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर एक बार के लिए ये मान लिया जाय कि शराबबंदी अच्छी है, तो बंदी कहां है? शराबबंदी के नाम पर तो सिर्फ शराब की दुकानें बंद हैं, होम डिलीवरी तो चल रही है। बिहार की गरीब जनता का हर साल 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। हर गांव में दस से पंद्रह बच्चे अवैध शराब के काम में हैं। ये बजट का जो नुकसान हो रहा है वो शराब माफिया और अफसरों के जेब में जा रहा है। नेपाल से सटा हुआ जो इलाका है, वहां जाइए तो लोग बता रहे हैं कि इस तरह के ड्रग्स का जो कारोबार हो रहा है, वो पहले कभी नहीं देखा। महिलाओं के लिए ये जो किया गया, तो शराबबंदी लागूं होने के बाद से लेकर अब तक 6,37,000 से ज्यादा केस शराबबंदी कानून के तहत दर्ज किए गए हैं। इसमें करीब सवा लाख लोग कोर्ट और थानों के चक्कर काट रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी भी उस घर की महिला को ही है। महिला बेचारी कोर्ट और थानों के चक्कर काट रही है और जो कुछ भी बचा हुआ है वो भी बिक जा रहा है। ये नीतीश कुमार की जिद है कि यही लागू रहेगा।
बिहार में जहरीली शराब से होने वाली मौतों की संख्या है हजारों में
प्रशांत किशोर ने कहा कि पूरे बिहार में शराब बिक रही है। वो कह रहे हैं कि शराबबंदी लागू है। रही एनसीआरबी के डेटा की बात तो ये 134 लोग वो हैं जिस घटना की रिपोर्ट दर्ज की गई है। जहरीली शराब से होने वाली मौतों की संख्या हजारों में है और हर पंचायत में मौतें हुई हैं। मैं जबसे पदयात्रा कर रहा हूं, तो लोग बता रहे हैं कि पुलिस-प्रशासन के डर से तो बेचारे केस ही दर्ज नहीं करा रहे हैं। क्योंकि जिसकी दुखद मौत हुई वो तो हुई अगर जाकर बताएंगे कि शराब पीने से मौत हुई है, तो उस पर केस अलग से दर्ज हो जाएगा। ये तो जब काफी संख्या में लोगों की मौत होती है और सरकार छुपा नहीं सकती है, वो डेटा है। मैं पंचायतवार मैं डेटा दे सकता हूं कि कितने लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई है।
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