Child Marriage Law in India: असम में बाल विवाह के खिलाफ ऑपरेशन जारी है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर बताया कि अब तक 2,528 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. असम में बीते शुक्रवार से बाल विवाह के खिलाफ इस तरह का ऑपरेशन चलाया जा रहा है. राज्य के डीजीपी जीपी सिंह ने बताया कि अब तक चार हजार से ज्यादा मामलों में ढाई हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन का मकसद राज्य में बाल विवाह के मामलों को रोकना और अगले दो-तीन साल में इसे पूरी तरह खत्म करना है.

हालांकि, असम पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध भी हो रहा है. मंगलवार को गोपालपाड़ा जिले के माटिया और कछार जिले के सिल्चर में महिला एक्टिविस्ट ने विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने ये प्रदर्शन उस अस्थाई जेल के सामने किया, जहां गिरफ्तार लोगों को रखा जा रहा है.

दूसरी ओर इसकी तारीफ भी हो रही है. असम स्टेट कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (ASCPCR) की अध्यक्ष सुनीता चंगकाकोटी ने न्यूज एजेंसी से कहा कि सरकार के इस कदम से इस खतरे के खिलाफ समाज को कड़ा संदेश मिलेगा.

हाल ही में असम सरकार ने 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई करने का फैसला लिया है. इसके मुताबिक, 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज होगा. जबकि, 14 से 18 साल की उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों पर 2006 के बाल विवाह प्रतिषेध कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.

पर बाल विवाह कब माना जाएगा?

भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में बाल विवाह आज भी प्रचलित है. किसी शादी को बाल विवाह तब माना जाता है जब पति या पत्नी में से कोई एक नाबालिग हो.

हमारे देश में शादी के लिए लड़कों की कानूनी उम्र 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल है. अगर कोई इस तय उम्र से कम उम्र में शादी करता है तो उसे बाल विवाह माना जाएगा.

बाल विवाह को रोकने के लिए हमारे देश में आजादी से पहले से कानून है. सबसे पहले 1929 में कानून लाया गया था. तब शादी के लिए लड़कों की कानूनी उम्र 18 साल और लड़कियों के लिए 14 साल थी.

1978 में इस कानून को संशोधित कर लड़कों की उम्र 21 साल और लड़कियों की 18 साल कर दी गई. 2006 में इसमें फिर संशोधन हुआ और इसे संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाया गया. इस कानून को फिर से संशोधन करने की तैयारी चल रही है, जिसमें शादी के लिए लड़कियों की उम्र को 21 साल बढ़ाया जा सकता है.

क्या है बाल विवाह कानून?

2006 में बाल विवाह प्रतिषेध कानून बना था. ये बाल विवाह को अपराध बनाता है. इस कानून में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति या संगठन बाल विवाह होने की जानकारी होने पर कोर्ट से उसे रुकवाने का आदेश ला सकता है.

अगर फिर भी बाल विवाह होता है तो दोषी पाए जाने पर दो साल की कैद और एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है. ऐसे मामलों में अगर शादी हो भी जाती है तो उसे अदालत ‘शून्य’ घोषित कर देती है.

इस कानून की धारा 3 के तहत ज्यादातर मामलों में बाल विवाह ‘शून्य’ माने जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में ये लड़के या लड़की पर निर्भर करता है. यानी, दोनों से कोई एक भी कोर्ट जाकर ऐसी शादी को शून्य घोषित करने की अर्जी दे सकता है. इतना ही नहीं, अगर लड़का और लड़की दोनों चाहें तो बालिग होने पर बाल विवाह को जारी रखकर वैधता हासिल कर सकते हैं.

लेकिन बाल विवाह को शून्य घोषित करवाने की अर्जी बालिग होने के दो साल के भीतर या उससे पहले ही दाखिल की जा सकती है.

हालांकि, कुछ मामलों में ये कानून लागू नहीं होता. मसलन, मुसलमानों का अपना पर्सनल लॉ है और इसमें अगर लड़की 15 साल की उम्र में पहुंच गई है या प्यूबर्टी में पहुंच गई है तो उसकी शादी की जा सकती है. ऐसे मामले में फिर बाल विवाह प्रतिषेध कानून लागू नहीं होता.

कौन-कौन आता है इसके दायरे में?

बाल विवाह कानून सिर्फ पुरुषों पर लागू होता है. यानी, अगर बाल विवाह होता है तो ऐसी स्थिति में पुरुष के खिलाफ ही कार्रवाई होगी, लड़की के खिलाफ नहीं.

इस कानून की धारा 9 कहती है कि अगर कोई बालिग पुरुष जिसकी उम्र 18 साल से ज्यादा है और वो बाल विवाह करता है तो दोषी पाए जाने पर उसे दो साल तक की जेल या एक लाख रुपये के जुर्माने या दोनों की सजा हो सकती है.

इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति बाल विवाह करवाता है तो दोषी पाए जाने पर उसे दो साल तक की जेल और एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा होगी. इसमें माता-पिता, नाते-रिश्तेदार भी शामिल हैं.

इतना ही नहीं, अगर बाल विवाह को अदालत शून्य घोषित कर देती है तो फिर ये पुरुष की जिम्मेदारी है कि वो लड़की का भरण-पोषण करे. अगर लड़का नाबालिग है तो उसके माता-पिता या गार्जियन लड़की को गुजारा भत्ता देंगे. ये गुजारा भत्ता अदालत तय करेगी.

इसके अलावा अगर बाल विवाह से किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसका भरण-पोषण भी पुरुष की ओर से किया जाएगा. पुरुष के नाबालिग होने की स्थिति में उसके माता-पिता या गार्जियन भरण-पोषण देंगे.

इनपुट : आज तक

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