वसंत का मौसम और वैलेंटाइन डे के नजदीक आते ही प्यार की कहानियां चर्चा में आ जाती हैं. प्यार ही एक ऐसी दौलत है, जो अमीर से गरीब तक संत से सैतान तक के पास होता है. बिहार में कई ऐसे राजनेता हुए जिन्होंने अपनी राजनीति से अधिक प्रेम कहानियों के कारण लोगों के बीच प्रसिद्ध हुए. वैसे तो लालू प्रसाद और राबड़ी देवी आज भी बिहारी की राजनीति में सबसे प्यारे दंपती हैं, लेकिन कई ऐसे नेता भी हैं जिनकी प्रेम कहानी लोगों की जुंबा पर है. वैलेंटाइन डे की इस खास कड़ी में आज हम पेश कर रहे हैं राजीव प्रताप रूडी व नीलम के बीच पहली मुलाकात से शादी तक की कहानी..

बादलों के बीच राजीव ने नीलम के सामने रखा विवाह का प्रस्ताव

सारण के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी की प्रेम कहानी भी काफी दिलचस्प है. वैसे तो राजीव की हिमाचल प्रदेश की रहने वाली नीलम से मुलाकात पढ़ाई के दिनों में ही हुई थी. दोनों एक ही यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते थे, लेकिन हवा में उड़ान भरने के दौरान ही राजीव प्रताप रूडी ने अपने इश्क की मंजिल पायी. बताया जाता है कि राजीव प्रताप रूडी जब पायलट की ट्रेनिंग ले रहे थे, तभी उनका नीलम से रिश्ता करीब का हो गया था. नीलम एयर होस्टेस थीं. हवाई यात्रा के दौरान कई बार दोनों एक साथ क्रू मेंबर होते थे. यही वो समय था जब नीलम से उनको प्रेम हुआ. एक दिन बादलों के बीच राजीव ने नीलम के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया. नीलम इनकार न कर सकी और 1991 में दोनों ने शादी कर ली. फिलहाल इनकी दो खूबसूरत बेटियां हैं. उनका नाम अतिशा प्रताप सिंह और अवश्रेया रूडी है.

नीलम ने राजीव के मंत्री बनने पर छोड़ दी नौकरी

इस परिवार को करीब से जाननेवाले कहते हैं कि सुखोई सहित कई विमान उड़ा चुके राजीव प्रताप रूडी आज भी कभी कभार पायलट की भूमिका में नजर आ जाते हैं, लेकिन नीलम ने करीब 10 वर्षों तक इंडियन एयरलाइंस में नौकरी करने के बाद इस्तीफा दे दिया. दरअसल जब केंद्र में राजीव उड्डयन मंत्री बने तो नीलम ने एयर होस्टेस की सरकारी नौकरी छोड़ दी. जानकार कहते हैं कि नीलम को यह नैतिक रूप से सही नहीं लगा कि जिस मंत्रालय में उनके पति मंत्री हैं, उसी मंत्रालय में वो नौकरी करें. आज इस जोड़े को अक्सर बॉलीवुड की पार्टियों में देखा जाता है. वहीं नीलम फैशन शो में भी दिखती रहती हैं. अब दोनों काफी सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करते हैं. माना जाता है कि छोटी बेटी अतिशा प्रताप अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे ले जा सकती हैं.

इनपुट : प्रभात खबर

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