नई दिल्ली: बैंक प्राइवेटाइजेशन (Bank Privatisation) को लेकर बड़ी खबर आ रही है. केंद्र सरकार ने फरवरी में पेश किए गए बजट में दो सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का ऐलान किया था. वित्तमंत्री की ओर से किए गए ऐलान के मुताबिक, सरकार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) में हिस्सेदारी बेचने का प्लान बना रही थी, लेकिन अब खबर आ रही है कि सरकार बैंक ऑफ इंडिया में भी अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है. यानी बैंक ऑफ इंडिया भी प्राइवेट हाथों में जा सकता है.

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, नीति आयोग ने दो बैंकों के नाम की सिफारिश भी की है, लेकिन अब खबर आ रही है कि सरकार बैंक ऑफ इंडिया में भी अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है. प्राइवेटाइजेशन की लिस्ट में बैंक ऑफ इंडिया का नाम भी सामने आ रहा है.

कितना है बैंकों का शेयर प्राइस

शेयर बाजार में इन बैंकों के शेयर प्राइस की बात करें तो सेंट्रल बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक की मार्केट वैल्यू 44,000 करोड़ रुपये है जिसमें आईओबी का मार्केट कैप 31,641 करोड़ रुपये का है.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग के प्रस्ताव पर अभी विनिवेश (DIPAM) और फाइनेंशियल सर्विसेज विभागों (Bankibg Division) में विचार किया जा रहा है. नीति आयोग ने विनिवेश संबंधी सचिवों की कोर समिति को उन सरकारी बैंकों के नाम सौंप दिए हैं, जिनका विनिवेश प्रक्रिया के तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में निजीकरण किया जाना है. नीति आयोग को निजीकरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी का नाम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में निजीकरण से जुड़ी घोषणा की गई थी.

अभी हो रहा है विचार

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, नीति आयोग के प्रस्ताव पर विनिवेश (DIPAM) और फाइनेंशियल सर्विसेज विभागों में विचार किया जा रहा है, लेकिन जल्द ही इसको लेकर फैसला लिया जाएगा. नीति आयोग की सिफारिश के बाद उस पर मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता वाला विनिवेश पर गठित सचिवों का मुख्य समूह (कोर ग्रुप) विचार करेगा. इस उच्च स्तरीय समूह के अन्य सदस्य आर्थिक मामलो के सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, कॉर्पोरेट कार्य मामलों के सचिव, विधि सचिव, लोक उपक्रम विभाग के सचिव, निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव और प्रशासनिक विभाग के सचिव हैं.

कितना लगेगा समय?

सूत्रों के मुताबिक, दीपम डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज के साथ इस प्रस्ताव पर विचार करेगा और सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए जरूरी विधायी बदलवों पर चर्चा करेगा. फिलहाल बैंकों के प्राइवेटाइजेशन में कितना समय लगेगा यह बात नियामकीय बदलावों पर निर्भर करती है. इसके साथ ही आरबीआई के साथ भी चर्चा की जाएगी उसके बाद ही कुछ फैसला लिया जाएगा.

किन बैंकों का हो सकता है निजीकरण

आपको बता दें इस समय नीति आयोग की नजर उन 6 बैंकों पर है जो मर्जर में शामिल नहीं थे. इस लिस्ट में बैंक ऑफ इंडिया, ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब एंड सिंध बैंक और यूको बैंक शामिल हैं.

Source : News18

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