खुदीराम बोस के मामले की जिला सत्र न्यायालय मुजफ्फरपुर में हुई थी सुनवाई
मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने की सुनवाई कक्ष को ऐतिहासिक स्थल घोषित करने की माँग
मुजफ्फरपुर :- देश के स्वतंत्रता संग्राम में सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद खुदीराम बोस को मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारागार में फाँसी दी गई थी तथा उनका पूरा मुकदमा मुजफ्फरपुर जिला सत्र न्यायालय में चला था। खुदीराम बोस के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा पिछले पाँच वर्षों से शोध कर रहे है।
इसी क्रम में उन्हें पता चला कि वर्तमान में मुजफ्फरपुर जिला भु-लेखागार वाला पूरा भवन ब्रिटिश जमाने का सत्र न्यायालय हुआ करता था तथा वर्तमान में जिला खनन कार्यालय वाले कक्ष में ही अमर शहीद खुदीराम बोस के मामले की पूरी सुनवाई हुई थी तथा वहीं पर उन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई थी। अधिवक्ता एस. के. झा ने बताया कि यह वही जगह है, जहाँ से अमर शहीद खुदीराम बोस को फाँसी की सजा सुनाए जाने के बाद पूरे भारत के युवाओं में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी थी तथा बिहार, बंगाल एवं उड़ीसा के युवक आक्रोशित होकर अंग्रेजों के विरुद्ध आवाज बुलंद करना शुरू कर दिए थे।
अधिवक्ता श्री झा ने बताया कि अमर शहीद खुदीराम बोस के ट्रायल कोर्ट रूम को ऐतिहासिक धरोहर घोषित किया जाए तथा उस जगह का सौंदर्यीकरण किया जाए, जिससे आने वाली पीढ़ी अमर बलिदानी खुदीराम बोस के पावन भूमि को चूम सके। मामले के संबंध में मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने जिलाधिकारी मुजफ्फरपुर सहित बिहार सरकार एवं भारत सरकार को पत्र लिखकर सकारात्मक पहल करने की माँग की है।
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