मुजफ्फरपुर [अमरेंद्र तिवारी]। कोरोना संक्रमण काल में जब रोजी-रोजगार ठप हुए तो खादी ग्रामोद्योग का सहारा मिला। बापू का चरखा चल पड़ा। इससे मुजफ्फरपुर में एक-दो नहीं 1149 लोगों को रोजगार मिला है। कोई सूत कात रहा तो कोई बुनाई का काम कर रहा। कुल्हड़ भी बन रहा है। अब एक अनूठी शुरुआत भी हुई है। मकई की रोटी व सरसों का साग बेचा जा रहा। इसकी अच्छी-खासी मांग है।

कोरोना काल में बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए मुजफ्फरपुर का खादी ग्रामोद्योग आगे आया। यहां पहले से चल रहे खादी कपड़ा के उत्पादन को आगे बढ़ाया गया। मास्क, साबुन, जूता, गोबर व मिट्टी के दीप तथा कुल्हड़ बनाने के अलावा कोल्हू से सरसों पेराई की शुरुआत हुई।

175 नए चरखे भी बांटे गए।

दिसंबर से ही सामाजिक कार्यकर्ता अनिल अनल की देखरेख में रसोई घर की शुरुआत हुई। इसमें मकई की रोटी व सरसों का साग बनाया जा रहा है। स्वाद घर जैसा मिले, इसके लिए पारंपरिक लकड़ी के चूल्हे का इस्तेमाल होता है। बनाने के काम से 25 महिलाएं जुड़ी हैं। स्वाद बेहतर होने के चलते प्रतिदिन मोबाइल व वाट्सएप के जरिए 100 से ज्यादा ऑर्डर आ रहे हैं। 20 किलोमीटर के दायरे में सप्लाई के लिए 10 युवाओं को लगाया गया है।

अन्य उत्पाद लाने की तैयारी

यहां अगरबत्ती उद्योग लगाने का काम अंतिम चरण में है। इससे 80 लोगों को रोजगार मिलेगा। नीरा और खजूर से गुड़ निर्माण भी होगा। इससे 500 से 600 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। आनेवाले दिनों में सात तरह के अनाज व उनके आटे की बिक्री की योजना है। इनमें चना, मकई, जौ, मड़ुवा, बाजरा, ज्वार, रागी शामिल होंगे। इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार ने 32 लाख तथा केंद्र ने एक करोड़ 19 लाख रुपये दिए हैं।

संघ से जुड़कर काम करने वाले रेहान अंसारी, अरुण यादव, रामकली देवी और शोभा देवी का कहना है कि कोरोना के दौर में उन्हेंं बड़ा सहारा मिला। रोजगार की चिंता नहीं है। जिला खादी ग्रामोद्योग संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार बताते हैं कि जूता बनाने से 140, कोल्हू का सरसों तेल से 25, साबुन बनाने से 12, कुल्हड़ बनाने व बेचने से 300 और दीप बनाने से 50 को रोजगार मिला है। इसके अलावा चरखा चलाने वाले 587 लोगों को काम मिला है। अब मास्क की मांग नहीं होने से इससे जुड़ी महिलाएं अन्य काम कर रही हैं। प्रत्येक व्यक्ति को रोजाना तीन से चार सौ रुपये मिल जाते हैं। अभी मुजफ्फरपुर में सात खादी बिक्री केंद्रों के अलावा सात उत्पादन इकाइयां काम कर रही हैं। यहां बने उत्पादों को ऑनलाइन भी बेचा जा रहा है।

इनपुट : जागरण

1,065 thoughts on “मुजफ्फरपुर मे चल रहा बापू का चरखा, 1149 लोगो को मिला रोजगार”
  1. pharmacie en ligne france pas cher [url=https://pharmaciepascher.pro/#]Medicaments en ligne livres en 24h[/url] Pharmacie en ligne livraison Europe

  2. п»їbest mexican online pharmacies [url=https://mexicanpharmgate.com/#]Mexican Pharm Gate[/url] mexico pharmacies prescription drugs

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *