समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर जिले में जननी बाल सुरक्षा योजना में फर्जीवाड़ा का मामला उजागर हुआ है. इसमें एक ही महिला ने जुलाई व नवंबर महीने में दो बेटे को जन्म देने की बात कहते हुए योजना का लाभ उठाया है. मामला के उजागर होने के बाद संचारी रोग के नेतृत्व में एक जांच टीम का गठन किया गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला के उजियारपुर पीएचसी में एक महिला ने आशा कार्यकर्ता की मिलीभगत से नौ महीने के बदले मात्र पांच महीने से भी कम दिनों के अंतराल पर दो बेटे को जन्म दिया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग को इसकी भनक भी नहीं लग सकी. दोनों ही बार महिला उजियारपुर पीएचसी में ही भर्ती हुई और उसका प्रसव भी कराया गया.

स्वास्थ्य महकमा में हड़कंप मच गया

दरअसल, असलियत में ऐसा नहीं हुआ है. इस फर्जीवाड़ा के पीछे जननी बाल सुरक्षा योजना का लाभ बताया जाता है. मामले का खुलासा होने के बाद सीएस डॉ. सत्येंद्र कुमार गुप्ता ने अपर उपाधीक्षक सह सहायक अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी गैर संचारी रोग के नेतृत्व में एक जांच टीम गठित कर दी है. जांच टीम गठित होते ही स्वास्थ्य महकमा में हड़कंप मच गया है.

स्वास्थ्य विभाग में मौजूद रिकॉर्ड के अनुसार 28 वर्षीय महिला उजियारपुर प्रखंड के हरपुर रेबाड़ी गांव की निवासी है. उसी गांव की आशा रीता देवी की मदद से वह पहली बार 24 जुलाई को उजियारपुर पीएचसी में भर्ती हुई. उस दिन महिला ने एक लड़के को जन्म भी दिया. लेकिन इसके बाद योजना का लाभ उठाके के मकसद से फिर से उक्त महिला के 3 नवंबर को उजियारपुर पीएचसी में प्रसव के लिए भर्ती होने और अगले दिन एक लड़के को जन्म देने की एंट्री की गई.

ऐसे हुआ पूरे मामले का खुलासा

हालांकि, जब उजियारपुर पीएचसी में नवंबर में हुए संस्थागत प्रसव के बाद जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत लाभुकों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि के भुगतान के लिए डिटेल बनाया जा रहा था तो ये पाया गया कि उक्त महिला का प्रसव 24 जुलाई को भी कराया गया, जिसे अस्पताल प्रशासन ने 31 जुलाई को जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि का भी भुगतान कर दिया है. ऐसे में फिर से चार नवंबर को प्रसव कराने को लेकर मामला फंस गया.

जननी बाल सुरक्षा योजना में फर्जीवाड़ा की जानकारी मिलने के बाद अस्पताल के लेखापाल रितेश कुमार चौधरी ने तत्काल इसकी सूचना पीएचसी प्रभारी, अस्पताल प्रबंधक, डीएएम व डीपीएम को देते हुए उसका भुगतान रोक दिया. इस संबंध में सीएस डॉ. सत्येंद्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उजियारपुर अस्पताल प्रबंधन के माध्यम से इसकी जानकारी मिली कि दो डिलेवरी में एक ही अकाउंट नंबर पाया गया है. इसके बाद उसके भुगतान पर रोक लगाते हुए जांच टीम का गठन किया गया है. रिपोर्ट आने के बाद दोषी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.

Source : abp news

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