कोरोना संक्रमण से मौत होने के बाद कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं कि स्वजन शव लेने से इंकार कर रहे हैं। आखिरकार प्रशासनिक व्यवस्था से वैसे शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है। लेकिन बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां छह घंटे तक शव को पैक कराने के लिए अधिकारियों एवं स्वास्थ्यकर्मियों से गुहार कर थक चुकी एक बेटी पिता के शव को पैक करने के लिए खुद पीपीई किट पहनी । भाई के साथ मिलकर शव को पैक किया की और एंबुलेंस में लादकर ले गई।
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दरअसल, यह मामला बेतिया के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल का है। बीते 11 मई की सुबह में पांच बजे के आसपास बेतिया नगर परिषद क्षेत्र के मंशाटोला मोहल्ले के निवासी फारूख(55) जमा की मौत हो गई। वे कोरोना संक्रमित थे। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डेडिकेटेड कोविड वार्ड में पिछले चार दिनों उनका उपचार चल रहा था। अस्पताल में फारुख जमा की पुत्री रेशमा और पुत्र मो. शिबू मौजूद थे।
प्रोटोकॉल के साथ शव सौंपने की कर रहे थे मांग
अस्पताल के कोविड वार्ड में फारूख की मौत के बाद पुत्री व पुत्र शव को कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार सौंपने की मांग करने लगे। पिछले चार दिनों से इलाज के लिए अस्पताल में विभिन्न तरह की यातनाओं का सामना करने वाले भाई- बहन की सिर्फ एक हीं फरियाद थी कि कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार उनके पिता के शव को दफना दिया जाए। लेकिन इनकी फरियाद कोई नहीं सुन रहा था। सभी यह आश्वासन दे रहे थे कि अभी उससे पहले जिसकी मौत हुई है, उसका अंतिम संस्कार नहीं हुआ है। जब बारी आएगी तो देखेंगे।
तकरीबन छह घंटे की प्रतीक्षा के बाद जब अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई सुगबुगाहट नहीं हुई तो रेशमा जिला प्रशासन की ओर से बनाए गए कंट्रोल व कमांड रूम में पहुंची। वहां शिकायत दर्ज कराई। लेकिन वहां भी खानापूर्ति हीं हो रही थी। उसकी शिकायत का असर सिर्फ यह हुआ कि शव को पैक करने वाला बैग व स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पीपीई किट रेशमा को दिया गया। कहा गया कि शव के पास रहें, कर्मी आएंगे तो पैक कर देंगे।
दोनों भाई – बहन पिता के शव के पास पीपीई किट व बैग लेकर एक घंटे इंतजार किए। जब कोई कर्मी नहीं आया तो खुद दोनों ने मिलकर पिता के शव को बैग में पैक किया और स्ट्रेचर पर रखकर नीचे ले गए। अगल- बगल से कर्मी गुजर रहे थे, लेकिन कोई इनका सहयोग नहीं कर रहा था। दोनों ने मिलकर शव को एंबुलेंस में रखा।
रेशमा ने बताया कि सुबह पांच बजे से परेशान थे। अस्पताल में कोई सुनने वाला नहीं था। मरीज व उसके परिजनों की परेशानी से अस्पताल प्रशासन को कोई लेना.देना नहीं है। कोरोना विपदा में सहयोग के लिए प्रशासन की ओर से मोबाइल नंबर जारी किए गए हैं, उन नंबरों पर कॉल करने पर भी कोई मदद नहीं मिल रही। कई नंबर तो ऐसे हैं, जनपर संपर्क हीं नहीं हो रहा है। अंत में स्वयं से शव को पैक कर एंबुलेंस से घर लाए और कब्रिस्तान ले गए। इस मामले के संबंध में बेतिया गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि ऐसा कोई मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। किसी ने इस तरह की शिकायत भी नहीं की थी। वैसे, इसकी जांच कराई जाएगी। मरीजों को हर संभव सुविधा मुहैया कराई जा रही है।
Input: Dainik Jagran
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