मुजफ्फरपुर, ओमिक्रोन ने दस्तक दे दी है। देश स्तर पर मामला सामने आने के बाद हर जगह अलर्ट जारी किया गया है। तीसरी लहर की आशंका भी जताई जा रही है। इस बीच आक्सीजन की आपूर्ति को ठीक करने के प्रति विभाग संवेदनशील नहीं है। एसकेएमसीएच में लाइसेंस व तकनीकी कर्मचारियों की कमी से दो आक्सीजन प्लांट चालू नहीं हो पा रहा है। इसी तरह सदर अस्पताल में भी एक प्लांट तकनीकी कमी से अभी शुरू नहीं हो पाया है।
चालू करने में यह फंसी पेच
एसकेएमसीएच में आक्सीजन प्लांट के लिए कोलकाता की कंपनी लिंडे ने 20 केएल क्षमता की एक टंकी उपलब्ध कराई है। दूसरी टंकी उपलब्ध कराने की कवायद चल रही है। प्लांट को चालू करने के लिए नागपुर स्थित पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी आर्गेनाइजेशन (पेसो) से लाइसेंस देने की प्रक्रिया चल रही है। लाइसेंस में विलंब से प्लांट चालू नहीं हो पा रहा है। जानकारी के अनुसार,कोरोना की पहली लहर में पताही एयरपोर्ट पर बनाए गए अस्पताल को समेटने के बाद डीआरडीओ ने आक्सीजन प्लांट के लिए जरूरी सभी उपकरण एसकेएमसीएच को दे दिया था। इसके बाद बीएमआइसीएल ने एसकेएमसीएच परिसर में पाइपलाइन बिछा दी है। इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार है। डीआरडीओ से मिली 10 केएल क्षमता की एक टंकी पीकू अस्पताल के पीछे लगाई जा चुकी है। इसी टंकी के बगल में ङ्क्षलडे से मिलने वाली 20 केएल क्षमता की टंकी लगाई गई है। एसकेएमसीएच के प्रबंधक संजय कुमार साह ने बताया कि पीकू वार्ड, जनरल वार्ड, पुराने अस्पताल के वार्ड और एमसीएच वाड्र्स तक करीब 500 मीटर पाइपलाइन से नाइट्रोजन गैस फ्लो कर जांच पूरी कर ली गई है। दूसरी टंकी आते ही उसे इंस्टाल कर उत्पादन शुरू हो जाएगा।
तकनीकी कारण से थोड़ा विलंब : अधीक्षक
एसकेएमसीएच अधीक्षक डा. बीएस झा ने बताया कि 31 जुलाई तक प्लांट लगाने का लक्ष्य तय था। तकनीकी कारण से थोड़ा विलंब हो रहा है। अभी जिले में कोरोना के मरीज नहीं है। इसके बावजूद वार्ड व अन्य सुविधा है। अतिरिक्त आक्सीजन के लिए प्लांट लगाने की कवायद चल रही है। वह भी पूरा कर लिया जाएगा। तीसरी लहर आई भी तो आक्सीजन की कमी नहीं होगी।
आक्सीजन पर सालाना 2.28 करोड़ रुपये खर्च
जानकारी के अनुसार एसकेएमसीएच में अब तक बेला आक्सीजन प्लांट से रोजाना 250 से 300 सिलेंडर तक आक्सीजन की आपूर्ति होती है। एसकेएमसीएच प्रबंधन ने रीफिलिंग के लिए तीन सौ सिलेंडर खरीद कर स्टाक में रखा है। रीफिलिंग, सिलेंडर ले जाने-पहुंचाने और वार्ड में उसे इंस्टॉल करने की जिम्मेदारी आक्सीजन प्लांट लगाने वाली एजेंसी की है। अभी इसके लिए हर माह करीब 19 लाख यानी सालाना करीब 2.28 करोड़ रुपये का भुगतान एसकेएमसीएच द्वारा किया जा रहा है। अपना प्लांट शुरू होने पर 24 घंटे निर्बाध आक्सीजन की आपूर्ति होगी। राशि की बचत होगी। प्लांट में अपने कंट्रोल पैनल से आक्सीजन के स्टाक की जानकारी मिलती रहेगी। स्टाक कम होते ही उत्पादन शुरू किया जा सकेगा। आक्सीजन की कमी होने पर झारखंड के बोकारो से लिक्विड गैस मंगा टंकी में डाली जाएगी। यह गैस आक्सीजन में परिणत कर पाइपलाइन से मरीजों के बेड तक सप्लाई होगी।
इनपुट : जागरण