मुजफ्फरपुर, डा. राम मनोहर लोहिया स्मारक महाविद्यालय में चल रहे एन.एस.एस. के सात दिवसीय विशेष शिविर कासोमवार कों ‘समापन समारोह’ आयोजित किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रेवती रमण, मुख्य अतिथि प्रो.(डॉ.) खतिबुल्लाह हमीदी, विवि वनस्पति विज्ञान विभाग, डॉ. हरिश्चन्द्र प्र. यादव एवं प्रोग्राम ऑफिसर मुकेश कुमार सरदार के द्वारा सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। अतिथियों एवं मंचासीन वक्ताओं को सॉल एवं प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया। तत्पश्चात स्वयंसेवक अतुल कुमार ने विशेष शिविर का रिपोर्ट प्रस्तुत किया।
प्राचार्य ने सभी स्वयंसेवकों को शिविर में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने इसे सफल बनाने के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दिए। उन्होंने कहा कि मानव सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। हमारे एनएसएस वालंटियर्स पढ़ाई के साथ साथ समाज और राष्ट्र की भी सेवा कर रहे है, इसके लिए सभी प्रशंसा के पात्र है।
समारोह में स्वयंसेवकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। स्वयंसेवकों के द्वारा बापू की सोच’ नाट्य का मंचन हुआ तो देश भक्तिगीत पर सामूहिक नित्य पेश किए। ‘घर मोरे परदेसिया’ पर स्वयंसेविका बरखा चौधरी ने एकल नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मनमुग्ध कर दिए। तत्पश्चात सभी प्रतिभागियों के बीच पुरष्कार का वितरण किया गया।
सत्र का बेस्ट वालंटियर्स अवार्ड– प्रतीक राज एवं ईशा कुमारी को दिया गया। शिविर में परफॉर्मेंस के आधार पर बेस्ट वालंटियर अवार्ड- विक्रम, विवेक, अतुल एवं अमीषा को मिला।
भाषण प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर क्रमशः फातिमा, काजल और जुनैद रहें।
निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान उदय कों मिला तो द्वितीय स्थान विवेक कों वही तीसरे स्थान पर पर अबसार रहा.
पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर क्रमशः ऋषिका, मोना एवं रन्तोष रहें।
विशेष शिविर के अलग अलग विधा के निर्णायक मंडल को भी प्रतीक चिह्न देकर सम्मनित किया गया। अंत में राष्ट्र-गान के साथ सात दिवसीय विशेष शिविर का समापन किया गया। कार्यक्रम में डॉ. गीता कंधवे, डॉ. रमेश विश्वकर्मा,अब्दुल अजीज टीके, डॉ. ज्ञान प्रकाश, डॉ. रश्मि रेखा, पूर्व स्वयंसेवक मो. शाहिद सहित संस्कृति, सुमन, शोभा, गुड्डी, राहुल, अमन, गरिमा, मुस्कान, बरखा, सौरभ, युवराज, राजू, आदित्य, रीतू एवं महाविद्यालय के सभी छात्र एवं छात्राएं मौजूद थे।