गोरखपुर जिले में पिता व दो बच्चियों के आत्महत्या की घटना ने सभी को दहला के रख दिया। घटना के बारे में जानकारी होने पर हर किसी के मुंह से एक ही बात निकल रही थी कि ‘ईश्वर ऐसा दिन किसी को न दिखाए’। गरीबी के चलते पिता ने खुद के साथ अपने कलेजे के टुकड़ों को भी फांसी के फंदे पर लटका दिया। मान्या के कमरे में मिली डायरी और नोटबुक को पढ़ने के बाद पुलिसकर्मी भी भावुक हो गए।
दो पन्ने में मान्या ने लिखी दर्द भरी दास्तां
दो पन्ने में उसने परिवार की दर्ज भरी दास्तां लिखा है। मां की मौत के बाद परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। बेटियों की जिंदगी को संवारने के लिए पिता दिन भर मेहनत करते लेकिन पूरी फीस नहीं भर पा रहे थे। जीविका चलाने के लिए गार्ड की नौकरी करने वाले बाबा रात भर जगते थे।
मान्या ने नोटबुक में ये लिखा
स्कूल के नोटबुक में मान्या ने लिखा है कि ‘निदृयी जीवन तुमने मेरी मां को छीन लिया, मेरे पिता इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। आपने कभी दौलत के साथ जीने नहीं दिया। मुझे लगता है कि मैं एक अभिशाप हूं, जिसका दर्द सहन नहीं कर सकती। मुझे कुछ खुशियां दे दो नहीं तो मेरा जीवन अंधकारमय हो जाएगा। सब लोग जानते हैं कि मैं बहुत मजबूत हूं लेकिन अंदर से टूट चुकी हूं।’ डायरी में पुलिस को जितेंद्र श्रीवास्तव का लिखा एक प्रार्थना पत्र मिला। स्कूल के प्रधानाचार्य को संबोधित पत्र में उन्होंने बकाया फीस जमा करने के लिए समय मांगा था।
कांपते हाथों से ओमप्रकाश ने दी मुखाग्नि
पोस्टमार्टम के बाद मंगलवार की शाम राजघाट के राप्ती तट पर जितेंद्र व उनकी दोनों बेटियों का दाह-संस्कार हुआ।कांपते हुए हाथों से ओमप्रकाश ने मुखाग्नि दी। सांत्वना देने पहुंचे रिश्तेदारों से रोते हुए बोल रहे थे अब किसके लिए जिंदा रहूं। दो साल पहले बहू सिम्मी छोड़कर चली गई। चार माह पहले पत्नी सुधा की मौत हो गई।बेटा और पौत्रियां भी छोड़कर चली गईं।
इनपुट : दैनिक जागरण