मुजफ्फरपुर , 14 मार्च 2024: एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। वह देश भर में 151 सीटों, बिहार में 17 सीटों एवं मुजफ्फरपुर जिले के दोनों संसदीय क्षेत्र मुजफ्फरपुर एवं वैशाली से उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। मुजफ्फरपुर से अरविंद कुमार एवं वैशाली से नरेश राम उम्मीदवार होंगे। पार्टी की केन्द्रीय कमिटी ने आज इसकी घोषणा कर दी है।
उक्त जानकारी देते हुए पार्टी के जिला सचिव अर्जुन कुमार ने कहा कि इस चुनाव में एक ओर भाजपा के नेतृत्व में एनडीए, तो दूसरी ओर कांग्रेस के नेतृत्व में ‘इंडिया’–मुख्य रूप से ये दोनों बुर्जुआ गठजोड़ ही ये प्रतिद्वंद्विता कर रहे हैं। यह स्वाभाविक है और पुराने दिनों के इतिहास से पता चलता है कि इस चुनाव में दोनों खेमे झूठे वायदों और अकूत पैसे लेकर चुनाव में उतरेंगे। भाजपा के कर्णधार दावा कर रहे हैं कि वे भारत में ‘रामराज्य’ कायम करने जा रहे हैं और उनके पिछले 10 वर्षों के शासन में देश में बड़े पैमाने पर ‘विकास’ हुआ है। ‘विकास’ तो हुआ है, लेकिन किसका विकास हुआ है? इजारेदार पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय निगमों का विकास हुआ है। उन्होंने मजदूर वर्ग और जनता का बड़े पैमाने पर शोषण कर भारी मुनाफा लूटा है और आज भी लूट रहे हैं। जिस ‘डबल इंजन’ की सरकार के बारे में वे दावा करते हैं कि वह इस ‘विकास’ की मुख्य चालकशक्ति है, उसके दो चालक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह हैं। उस ‘इंजन’ के पीछे वाले डिब्बे में अंबानी, अडानी, टाटा, मित्तल और जिंदल बैठे हुए हैं और उसके पहिये के नीचे कुचले जा रहे हैं करोड़ों गरीब-बेसहारा भारतीय। एक ओर पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मुनाफे का पहाड़ बढ़ता जा रहा है, तो दूसरी ओर देश में करोड़ों बेरोजगारों की मौजूदगी तथा हजारों कल-कारखाने बंद रहने की वजह से कई करोड़ मजदूरों की छंटनी हो रही है, औद्योगिक क्षेत्रें में एकाधिकार पूंजी का मालिकाना केन्द्रीभूत हो रहा है और मझोले तथा छोटे उद्योग बर्बाद हो रहे हैं। सिर्फ खुदरा कारोबार ही नहीं, बल्कि थोक व्यवसाय को भी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हड़प रही हैं। निजी मालिकों का मुनाफा बढ़ाने के लिए बिजली, रेल, बैंक, इस्पात, कोयला और बंदरगाह समेत विभिन्न सरकारी उद्योगों को उन्हें सौंपा जा रहा है। मध्यम वर्ग की तादाद घटते-घटते पेंदी में पहुंच चुकी है। वस्तुओं की कीमतें बढ़ती जा रही हैं। जनता पर टैक्स का बोझ भी बढ़ रहा है।
इस ‘रामराज’ में केन्द्र सरकार करोड़ों रुपये कमाने के लिए विदेशों से सस्ते दर पर कच्चे तेल खरीदकर यहां महंगे दरों पर बेच रही है। महंगाई के बढ़ने का यह भी एक प्रमुख कारण है। एक ओर जनता पर टैक्स का बोझ बढाया जा रहा है, तो दूसरी ओर पूंजीपतियों का अरबों रुपये का कर्ज माफ किया जा रहा है, उनके टैक्स घटाये जा रहे हैं। दूसरी ओर, भूख और बेरोजगारी की पीड़ा से हर रोज अनेक लोग आत्महत्या कर रहे हैं। अनेक लोग प्रवासी मजदूर के रूप में लक्ष्यहीन होकर यहां-वहां भटक रहे हैं। लाखों सरकारी पद खाली रहने के बावजूद रोजगार न मिलने के कारण बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है। उद्योगों में, यहां तक कि सरकारी विभागों में भी स्थायी रोजगार की जगह पर ठेकेदारी प्रथा लागू की गयी है, जहां न कोई निश्चित मजदूरी है और न ही काम के घंटे तय हैं। रोजाना अनेक महिलाएं बलात्कार की शिकार हो रही हैं। बच्चों को बालश्रम के लिए बेचा जा रहा है। इस देश में लगभग 2 करोड़ बाल मजदूर काम करते हैं। कर्ज न चुका पाने के कारण लाखों किसान और भूख की वजह से अनेक लोग आत्महत्या कर रहे हैं। यह भाजपा शासित ‘रामराज्य’ की एक भयावह तस्वीर है।
आजादी के बाद लम्बे दिनों तक कांग्रेस ने देश पर शासन किया और इसी कांग्रेस ने पूंजीवाद के लिए फासीवाद का आधार तैयार किया। भाजपा इस आधार को और पुख्ता कर रही है। इस फासीवाद को कायम करने के लिए भाजपा हिंदुत्व के नाम पर भारत को अतीत के धार्मिक अंधेरे के युग में वापस ले जा रही है, वैज्ञानिक तर्कवाद की परंपरा को मिटा रही है, जिसकी लड़ाई पुनर्जागरण काल के विचारकों राममोहन, विद्यासागर, फुले आदि ने की थी। साथ ही गरीबों और शोषित लोगों में कट्टरता पैदा करके सांप्रदायिक नफरत और उन्माद का माहौल तैयार किया जा रहा है। इसलिए पूंजीपति वर्ग की भरोसेमंद पार्टी भाजपा की इन तमाम जनविरोधी कार्रवाइयों, फासीवादी कदमों, सभी क्षेत्रें में पार्टी का वर्चस्व कायम करने, विरोधी विचारों का गला घोंटने, उग्र हिंदुत्व और सांप्रदायिक मानसिकता को बढ़ावा देने आदि की वजह से अगले चुनाव में भाजपा को परास्त करना आवश्यक है। लोगों का अनुभव बताता है कि राज्य में जदयू-भाजपा हो या राजद-कांग्रेस सभी पार्टियों का मकसद जोड़तोड़ से सरकार बनाकर सत्ता-सुख हासिल करना है।
इस चुनाव में एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) मार्क्सवाद और संघर्षशील वामपंथ की विचारधारा को लेकर मुजफ्फरपुर की दोनों लोकसभा की सीटों, बिहार की 17 लोकसभा सीटों समेत देशभर की कुल 151 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे । अगर हमारे उम्मीदवार विजयी होते हैं, तो वे संसद के अंदर जनता की मांगों को लेकर संघर्ष करेंगे और साथ ही संसद के बाहर सड़कों पर शोषित लोगों के वर्ग संघर्ष और जनवादी आन्दोलन को जारी रखेंगे।
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