PATNA: बिहार विधानसभा में वीआईपी पार्टी का अस्तित्व समाप्त होने के बावजूद मंत्री की कुर्सी छोड़ने पर राजी नहीं हो रहे मुकेश सहनी का NDA और सरकार में खेल पूरी तरह से खत्म हो गया है. सरकारी सूत्रों से मिल रही खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हे मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की सिफारिश राज्यपाल को भेज दी है. आज दिन में ही बीजेपी ने इसके संकेत दिये थे. वैसे पिछले कई दिनों से बीजेपी को उम्मीद थी कि मुकेश सहनी खुद ही इस्तीफा दे देंगे लेकिन वे खुद मंत्री पद का रूतबा छोडने को तैयार नहीं हुए. ऐसे में अब कार्रवाई हुई है.
जानकार सूत्र बता रहे हैं कि नीतीश कुमार ने बीजेपी के कहने पर राज्यपाल को सिफारिश भेजा है. नियमों के मुताबिक किसी मंत्री को पद से हटाने के लिए मुख्यमंत्री अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेजते हैं. राज्यपाल उनकी सिफारिश पर मंत्री को बर्खास्त करते हैं. वैसे हम स्पष्ट कर दें कि राज्यपाल ने अब तक मुकेश सहनी की बर्खास्तगी की अधिसूचना नहीं जारी की है. लेकिन संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक अगर मुख्यमंत्री सिफारिश करते हैं तो उसे मानना राज्यपाल की बाध्यता है.
आज दिन में ही बीजेपी ने दिये थे संकेत
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह ही मुकेश सहनी की पार्टी के तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने विधानसभा में वीआईपी पार्टी का विलय ही बीजेपी में करा दिया है. भाजपा को उम्मीद थी कि इसके बाद मुकेश सहनी खुद मंत्री पद छोड़ देंगे. लेकिन मुकेश सहनी मंत्री की कुर्सी छोड़ने को राजी नहीं हैं. वे बार-बार कहते रहे कि नीतीश कुमार ने उन्हें मंत्री बनाया है औऱ नीतीश कुमार चाहेंगे तो उन्हें मंत्री पद से हटा देंगे. लेकिन वे खुद इस्तीफा नहीं देंगे.
मुकेश सहनी के इसी पैंतरे के बाद आज बीजेपी ने भूमिका तैयार की थी. पटना में आज बीजेपी ने मल्लाह जाति के लोगों को अपने दफ्तर में बुलाया था. उसके बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि पूरे राज्य के मत्स्यजीवी समाज के लोगों ने उनसे ये शिकायत की है कि मुकेश सहनी ने उनका भारी नुकसान किया है. संजय जायसवाल ने कहा कि मल्लाह जाति के लोगों के लिए पूरे राज्य में मछुआ को-ऑपरेटिव सोसायटी बनी थी. लेकिन पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने इस सोसायटी में एक अधिकारी को बिठा दिया. संजय जायसवाल ने कहा कि बिहार के सहकारिता मंत्री सुभाष सिंह ने मछुआ को-ऑपरेटिव सोसायटी को लेकर मुकेश सहनी को पांच दफे पत्र लिखा. लेकिन मुकेश सहनी ने एक भी पत्र का जवाब नहीं दिया.
संजय जायसवाल ने मुकेश सहनी के विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने की भी बात कही थी. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि मुकेश सहनी ने राज्य भर के मछुआरों का भारी नुकसान पहुंचाया है. बीजेपी इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. अब कार्रवाई की जायेगी. संजय जायसवाल के बयान से स्पष्ट था कि मुकेश सहनी पर कार्रवाई होगी.
मुकेश सहनी के काम नहीं आये नीतीश
दरअसल मुकेश सहनी को उम्मीद थी कि नीतीश कुमार उन्हें बचा लेंगे. पिछले तीन-चार महीने से मुकेश सहनी नीतीश कुमार का प्रशस्ति गान करने में लगे थे. मुकेश सहनी जब उत्तर प्रदेश में भाजपा हराओ मुहिम चला रहे थे तो उसी दौरान नीतीश कुमार की तारीफों के पुल बांध रहे थे. उन्होंने यूपी चुनाव में जेडीयू के एक उम्मीदवार को बिना मांगे समर्थन भी दे दिया था. वहीं बिहार के विधान परिषद चुनाव में भी बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ प्रत्याशी उतारने के साथ साथ जेडीयू के सारे प्रत्याशियों को समर्थन का भी एलान किया था. मुकेश सहनी को पता था कि उन्होंने जिस तरीके से बीजेपी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है उसके बाद भाजपा पलटवार जरूर करेगी. ऐसे में नीतीश को खुश करके मंत्री की कुर्सी बचाये रखने की भरपूर कोशिश कर रहे थे.
मुकेश सहनी की उम्मीदों को नीतीश कुमार से सहारा मिलने की बात बेमानी ही दिख रही थी. वैसे नीतीश कुमार ने मुकेश सहनी को संरक्षण देने की कोशिश जरूर की थी लेकिन बीजेपी ने उन्हें साफ साफ मैसेज दे दिया था. सूत्र बताते हैं कि बोचहां विधानसभा उपचुनाव में जब बीजेपी ने मुकेश सहनी का नोटिस लिये बगैर अपना उम्मीदवार उतार दिया था तो मुकेश सहनी सबसे पहले नीतीश कुमार के दरबार में ही पहुंचे थे. जेडीयू के सूत्रों की मानें तो सीएम हाउस से निर्देश मिलने के बाद ही जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बयान दिया था कि जेडीयू मुकेश सहनी औऱ बीजेपी के बीच विवाद में मध्यस्थता करने को तैयार है.
वहीं बीजेपी सूत्र बताते हैं कि जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा के बयान से बीजेपी आलाकमान भी नाराज हुआ. लिहाजा उसी दिन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को नीतीश कुमार के पास भेज कर मैसेज दिलाया गया था. मैसेज यही था कि वे मुकेश सहनी के बचाव में नहीं उतरे. इसी रिएक्शन में बीजेपी ने दो दिनों के भीतर ही मुकेश सहनी की पार्टी के सारे विधायकों को अपने दल में शामिल करा लिया. जानकार बताते हैं कि इसकी कोई भनक नीतीश कुमार तक को नहीं लगने दी गयी थी. नीतीश कुमार को भी तब इसकी जानकारी मिली जब वीआईपी पार्टी के तीनों विधायक विधानसभा अध्यक्ष के पास पत्र लेकर पहुंच गये थे.
बीजेपी के कड़े रूख का ही असर है कि जेडीयू का कोई नेता इस प्रकरण पर कुछ नहीं बोल रहा है. कोई मुकेश सहनी के समर्थन में बोलने को तैयार नहीं हुआ. जेडीयू ने ये स्पष्ट कर दिया था कि अगर बीजेपी मुकेश सहनी को हटायेगी तो नीतीश इसका विरोध नहीं करेंगे. नीतीश के करीबी माने जाने वाले मंत्री अशोक चौधरी ने मीडिया में बयान दिया था कि मुकेश सहनी भाजपा के कोटे से मंत्री बने थे. उनका क्या करना है ये भाजपा ही तय करेगी. जेडीयू को इससे मतलब नहीं है. अशोक चौधरी के बयान के बाद से ही ये साफ हो गया था कि नीतीश कुमार मुकेश सहनी को बचाने नहीं जा रहे हैं.
इनपुट : फर्स्ट बिहार