बिहार की नीतीश सरकार इस बार चार बैसाखियों के सहारे टिकी हुई है, जिसके चलते एनडीए में सहयोगी दल आए दिन आंखें दिखाते रहते हैं. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चे के अध्यक्ष जीतन राम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी अपने ही सहयोगी दलों की आलोचना ही नहीं बल्कि विपक्षी नेताओं के साथ भी खड़े नजर आए हैं. इसके चलते उनका सियासी मिजाज बदलने के कयास भी लगाए जाते रहते हैं.

जीतनराम मांझी ने बुधवार को पार्टी की बैठक में कहा कि हम एनडीए के साथ हैं और आगे भी रहेंगे. हम सरकार में रहकर भी सकारात्मक सोच के साथ अपनी शर्तें मनवाएंगे. वहीं, मुकेश सहनी भी कह चुके हैं वे एनडीए के साथ मजबूती से हैं.

उन्हें एनडीए में कोई दिक्कत नहीं है और गठबंधन की भलाई के लिए काम करते रहेंगे. इससे साफ जाहिर होता है कि मांझी और मुकेश सहनी एनडीए में सिर्फ प्रेशर पॉलिटिक्‍स करते रहेंगे, जिसके जरिए गठबंधन से अलग होना नहीं बल्कि अपने कद को बढ़ाना की रणनीति है.

जीतनराम मांझी पिछले काफी समय से ट्विटर के जरिए कभी मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को कोरोना संक्रमण रोकने के लिए बधाई देते हैं तो कभी अस्‍पतालों की दुर्दशा के बहाने बीजेपी को घेरते हैं. बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री बीजेपी के मंगल पांडेय हैं. यही नहीं कोरोना वैक्‍सीनेशन के सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्‍वीर को लेकर आपत्ति भी जताते हैं. इतना ही नहीं आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को उनकी शादी की वर्षगाठ पर बधाई भी देते हैं.

वो जनाधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव की गिरफ्तारी का विरोध करते हैं. उन्होंने कहा था कि कोई जनप्रतिनिधि अगर दिन-रात जनता की सेवा करे और उसके बदले उसे गिरफ्तार किया जाए तो ऐसी घटना मानवता के लिए खतरनाक है. ऐसे मामलों की पहले न्यायिक जांच हो, तब ही कार्रवाई होनी चाहिए, नहीं तो जन आक्रोश लाजिमी है. पप्पू यादव के समर्थन में मुकेश सहनी भी खुलकर खड़े नजर आए थे.

हाल ही में जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी की मुलाकात हुई थी और दोनों नेताओं ने काफी समय तक बंद करने में वार्ता की थी. इसके चलते उनके सियासी मिजाज बदलने की चर्चाएं तेज हो गई थी, क्योंकि बिहार के नतीजे इस बार ऐसे आए हैं, जिनमें एनडीए और महागठबंधन के बीच सीटों का बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. वहीं, लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आने के बाद से मांझी-सहनी के पाला बदलने की चर्चाएं तेज हो गई हैं.

बिहार में चल रही सियासी कयास के बीच जीतनराम मांझी ने बुधवार को स्‍पष्‍ट तौर पर कहा कि वे एनडीए छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्‍होंने कहा कि वे एनडीए में हैं और आगे भी रहेंगे. हम सरकार में रहते हुए सकारात्मक सोच के साथ दलित और गरीबों के मुद्दे को लेकर निवेदन पूर्वक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष हर उस मांग को जो गरीबों से जुड़ा हो उसे उठाते रहेंगे. वहीं, मुकेश सहनी भी बार-बार कह रहे हैं कि वो एनडीए के साथ मजबूती से हैं. उन्हें एनडीए में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है.

इससे साफ जाहिर है कि मांझी और सहनी एनडीए में रहते हुए अपनी प्रेशर पॉलिटिक्‍स जारी रखेंगे. इस बार कुछ सीटों के बहुमत से बनी बिहार की एनडीए सरकार में उनके चार-चार (कुल आठ) विधायक निर्णायक हैं. दोनों ही नेता इस बात को बखूबी समझते हैं और यही वजह है कि वो लगातार एनडीए में रहते हुए बयानबाजी कर रहे हैं.

इनपुट : आज तक

24 thoughts on “बिहार मे मांझी की प्रेशर पॉलिटिक्स, एनडीए से बाहर जाने पर नहीं, कद बढ़ाने पर जोर!”
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