नेपाल व इसके तराई क्षेत्रों में लगातार बारिश से मुजफ्फरपुर जिले में गंडक और बूढ़ी गंडक तेजी से खतरे के निशान की ओर बढ़ रही है। गुरुवार को बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में दो मीटर की वृद्धि हुई तो गंडक के जलस्तर में 1.40 मीटर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। दोनों नदियों के जलस्तर में हो रही वृद्धि के कारण मुजफ्फरपुर जिले के साहेबगंज एवं पारु प्रखंड में अलर्ट जारी किया गया है।
हालांकि गंडक नदी का पानी अभी खतरे के निशान से 90 सेंटीमीटर व बूढ़ी गंडक 3.53 मीटर नीचे हैं। बागमती नदी का जलस्तर कटौझा में खतरे के निशान से दो मीटर नीचे स्थिर पाया गया। जिले में 22.7 मिमी बारिश दर्ज की गई। वहीं 20 जून तक मध्यम से तेज बारिश की संभावना जताई गई है।
इधर, गुरुवार को जलस्तर में करीब डेढ़ मीटर की बढ़ोतरी को देख साहेबगंज की सात पंचायतों के लोगों से सुरक्षित स्थान पर चले जाने की फिर अपील की गई। दस हजार लोगों को सुरक्षित बाहर निकलने की कवायद जारी है। साहेबगंज व पारू में नदी की पेटी में बसीं नौ पंचायतों के लोग अपना बोरिया बिस्तर समेट बांध पर आ रहे हैं।
वाल्मीकिनगर बराज से निकल कर करीब डेढ़ सौ किमी दूर सोनपुर के कोन्हारा घाट में मिलने वाली गंडक नदी का जलस्तर 85 किमी दूर साहेबगंज में बढ़ने लगा है। बुधवार को रिकॉर्ड चार लाख से ऊपर क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद पानी खाली जगहों को भरते हुए करीब दो किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सोनपुर की ओर बढ़ रही है।
वाल्मीकिनगर बराज से पहले दिन बुधवार को चार लाख से ऊपर व दूसरे दिन गुरुवार की सुबह 2.90 लाख तो शाम 2.37 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। शुक्रवार की रात तक जिले के पारू व साहेबगंज में नदी का पानी और बढ़ेगा। वहीं पश्चिम चंपारण में भारी बारिश के बाद चौतरवा चौर से निकलने वाली बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पूर्वी व पश्चिमी चंपारण होते हुए यह पानी मुजफ्फरपुर में शुक्रवार को और बढ़ेगा।
बागमती है स्थिर, तीन प्रखंडों में राहत
हर साल औराई, कटरा व गायघाट प्रखंड में तबाही मचाने वाली नदी बागमती गुरुवार को भी शांत बनी रही। कटौझा में बागमती का जलस्तर गुरुवार को खतरे के निशान से दो मीटर नीचे मापा गया। जिले में गंडक व बूढ़ी गंडक जहां अपने तेवर दिखाते हुए चढ़ाई चढ़ने लगी है, वहीं बागमती स्थिर बनी हुई है। इसके कारण जिले के तीन प्रखंड के लोगों में अभी राहत है।
जानें नदियों का प्रभावस्थल
गंडक नदी- गंडक नदी नेपाल से शुरू होकर इंडो नेपाल बोर्डर पर वाल्मीकि नगर बराज के जरिए उत्तर बिहार में दाखिल होती है। यहां से यह पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली होते हुए सारण के सोनपुर में कोन्हारा घाट पर गंगा नदी में मिलती है। इस दौरान यह करीब 265 किमी की यात्रा तय करती है। इसके कारण पूर्वी चंपारण सर्वाधिक तो पश्चिमी चंपारण आंशिक प्रभावित होता है। मुजफ्फरपुर के दो प्रखंड साहेबगंज व पारू को चीरते हुए यह वैशाली के बाद सारण में दाखिल होती है।
बूढ़ी गंडक- बूढ़ी गंडक नदी की शुरुआत पूर्वी चंपारण के चनपटिया के पास से होती है। एक बड़े चौर से निकलने वाली इस नदी में कई छोटी बड़ी नदियां आकर मिलती हैं। वहां से निकलने के बाद यह मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय होते हुए खगड़िया में गंगा में जाकर मिल जाती है। इस नदी की इस बीच की लम्बाई करीब 158 किमी है, जिसमें से 83 किमी भाग मुजफ्फरपुर में पड़ता है। यह जिले के मीनापुर, मुशहरी, बोचहां, सकरा सहित कई प्रखंडों को प्रभावित करती हुई आगे बढ़ती है।
बागमती- नेपाल से ही शुरू होने के साथ यह नदी सीतामढ़ी के ढेंंग, शिवहर, मुजफ्फरपुर में रून्नीसैदपुर व गायघाट, दरभंगा होते हुए बूढ़ी गंडक में मिल जाती है। इस नदी की लम्बाई इस दौरान करीब 150 किमी है व यह नदी भी जिन जिलों से होकर गुजरती है, वहां की लाखों आबादी को प्रभावित करती है।
Input : Live hindustan
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