देश की तेजी से बढ़ती जनसंख्या चर्चा का विषय बनी हुई है। हाल में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत वर्ष 2023 में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन को पछाड़कर शीर्ष पर आ सकता है। इस बीच सांख्यिकी विभाग और बिहार आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि अपने मुजफ्फरपुर की आबादी प्रति दशक 28 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है। हालांकि, प्रजनन दर 3.41 से घटकर 2.31 फीसदी पर आयी है। इसके बावजूद जनसंख्या में बढ़ोतरी जारी है।
जिस तरह जिले की आबादी बढ़ी है, इससे शहरीकरण भी बढ़ा है। शहरीकरण की दर वर्ष 2011 में 9.9 फीसदी थी जो 2021 में करीब 15 फीसदी हो गई है। जहां तक प्रति व्यक्ति आय की बात है, 2011 में जिले की प्रति व्यक्ति आय 17.65 हजार थी जो अब बढ़ककर 30 हजार पार कर गई है। जिले की आबादी की रफ्तार का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि 2001 में आबादी 37.5 लाख थी। 2011 में बढ़कर 48 लाख और 2022 में बढ़कर 54 लाख हो गई है। हालांकि, जिले में प्रति हजार पुरुष पर महिलाओं की संख्या वर्ष 2001 में 921 थी जो 2011 में 900 और 2021 में इससे भी कम हो गई। जहां तक जनसंख्या घनत्व की बात है, 2001 में जिले का जनसंख्या घनत्व 1180 व्यक्ति प्रति किलोमीटर था। 2011 में बढ़कर 1506 और 2022 में अनुमानित दो हजार हो गई है।
एनएच व एसएच स्थिर, बढ़ी ग्रामीण सड़कें
पिछले 20 साल में जिले में एनएच व स्टेट हाइवे की संख्या स्थिर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 259 किमी एनएच व 76 किमी स्टेट हाइवे का आंकड़ा स्थिर रहा, लेकिन पांच साल में ही जिला सड़क की संख्या 456 से 634 और ग्रामीण सड़क की संख्या 257 से बढ़कर 5797 हो गई है। इसके बावजूद बड़ी संख्या में ऐसे टोले भी हैं जहां पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं बन सकी है।
स्वास्थ्य सुविधाओं का हुआ विस्तार
जिले की स्वास्थ्य सुविधा में काफी विस्तार हुआ है। इसका असर अस्पताल पहुंचने वाले रोगियों की संख्या पर दिखता है। 2011 में विभिन्न सरकारी अस्पताल में हर रोज 259 मरीज पहुंचते थे। 2021 में इनकी संख्या 479 हो गई। अस्पतालों में बेड उपलब्धता की बात करें तो 2011 में 24 मरीजों पर एक बेड था। अब छह मरीजों पर एक बेड हो गया है। इस दौरान जिला अस्पताल तो नहीं बढ़ा, लेकिन 16 पीएचसी, 499 हेल्थ सब सेंटर व 84 अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेंद्र की स्थापना हुई है। हालांकि, प्रति व्यक्ति चिकित्सक व नर्स की उपलब्धता में कोई उल्लेखनीय परिवर्तन आजतक नहीं हुआ है।
पेट्रोलियम खपत में जिला अग्रणी
मुजफ्फरपुर की आबादी जिस गति से बढ़ी है, उससे जिले में डीजल-पेट्रोल व एलपीजी गैस की भी खपत कई गुना तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2015 में प्रति व्यक्ति पेट्रोल की खपत 43.7 टन थी जो 2020 में बढ़कर 54.9 टन और 2021 में करीब 60 टन हो गई। इसी तरह डीजल की खपत 2015 में 143.2 टन, 2020 में 147.1 टन और 2021 में 152 टन के करीब हो गई। जहां तक एलपीजी गैस खपत की बात है, 2015 में जिले में प्रति व्यक्ति एलपीजी की खपत 63.5 टन थी। 2020 में 81.6 टन व 2021 में करीब 85 टन हो गई।
Input : live hindustan
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