बाजार समिति सिर्फ कमाई का जरिया भर बनकर रह गई है। वहां साफ-सफाई व सुविधाएं बहाल करने की फुर्सत न तो प्रशासन को है न समिति प्रबंधन को। बजबजाती गंदगी के बीच यहां साग-सब्जियों की खरीदारी स्वास्थ्य के लिहाज से हितकर नहीं है। सफाई का ध्यान न रखे जाने से साग, सब्जी, फल वगैरह चीजें संक्रमित हो रही हैं। सबसे बदत्तर स्थिति मछली व मीट बाजार की है। भिनभिनाती मक्खियाें व सड़ांध भरा कीचड़ से सने स्थानों पर दोनों चीजें कटती-बिकती हैं।
उपर से कोरोना संक्रमण के दौर में खतरा पहले से बढ़ा हुआ है। इस हाल में दुकानदारों से टैक्स न जाने किस चीज की वसूली जा रही है। व्यवसायी इसलिए भी बेहद खफा हैं। मेजरगंज बाजार समिति मंडी सीमावर्ती नेपाल बॉर्डर से जुड़ी है। प्रखंड क्षेत्र के आलावा सहियारा थाो के डायनछपरा, मुसहरवा, बसबिट्टी, छौरहियां, महादेव, मौदह, गजहवा, बेलहिया सहित सुप्पी प्रखंड के कोठिया, गोपालपुर तथा नेपाल के भी दर्जनों व्यापारी और वहां के लोग इस मंडी से रोजमर्रा के सामान यहां से खरीदते हैं। अंचलाधिकारी कनुप्रिया मिश्रा ने बताया कि हाल में ही योगदान दिया है। लिहाजा, बाजार समिति के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है। मगर, अब बाजार का जायजा लेंगी और व्यवस्था में सुधार के लिए जरूर पहल करेंगी।
अंतरराष्ट्रीय बाजार के रूप में पहचान, फिर भी ये हाल
स्थानीय चंदेश्वर प्रसाद सिंह बताते हैं कि लाखों रुपये राजस्व देने वाला बाजार स्वयं बीमार है। यह साप्ताहिक बाजार है। सिर्फ दो दिनों की मंडी के लिए लाखों रुपए में बोली लगती है। फिर भी रख-रखाव पर एक रुपये खर्च नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। सब्जी विक्रेता दिनेश साह, ह्रदयेश साह, उमेश कुमार का दर्द है कि उनलोगों से कौड़ी के नाम पर 100 रुपए से 200 सौ रुपए प्रतिदिन नजराना वसूला जाता है। करीब 10 हजार वर्ग फीट की परिधि में सब्जी मंडी सजती है।
हजारों लोग प्रति दिन साग सब्जी, फल व मांस- मछली खरीदने आते हैं। इस बाजार की वार्षिक आय करीब 25 से तीस लाख रुपए है। मगर, सुविधा बढ़ोत्तरी के नाम पर बाजार समिति फूटी कौड़ी खर्च नहीं करती। साफ-सफाई तो दूर कभी कीटनाशक दवा व डीडीटी का छिडकाव तक यहां नहीं होता। समाजसेवी सुरेंद्र मोदी बताते हैं कि प्रखंड मुख्यालय से बाजार करीब दो किलोमीटर की परिधि में फैला है। बरसात के इस मौसम में और भी बदतर हालात है। अंतरराष्ट्रीय बाजार के रूप में इसकी पहचान है। हजारों लोगो का इस बाजार से जीवनयापन होता है।
Input: Dainik Jagran